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Startup Business Funding: आइए जानते है स्टार्टअप कंपनी को फंडिंग मिलती कैसे है?

अगर स्टार्टअप शुरू हो चुका है और उसका विस्तार करना चाहते हैं, तब भी रकम की जरूरत पड़ती है। कई बार धांसू आइडिया भी सिर्फ इसलिए मर जाता है क्योंकि उसे फंड नहीं मिलता। अब ऐसे काफी लोग सामने आ गए हैं

Startup Business Funding: करेंगे ये काम तो स्टार्टअप बिजनेस के लिए कम नहीं पड़ेंगे पैसे

Startup Business Funding: स्टार्टअप शुरू करने से पहले बहुत सारी बातों को ध्यान में रखना होता है और आने वाली समस्याओं की पहचान करनी होती है। जिनमें सबसे पहले समस्या आती है फंडिंग को जुटाने की। क्योंकि लोग बिज़नेस शुरू तो करते हैं लेकिन अधिकतर बिज़नेस, फंड न होने के कारण बंद हो जाते हैं और उनका बिज़नेस करने का सपना अधूरा रह जाता है। किसी भी स्टार्टअप को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए पूंजी एक आवश्यक तत्व है। बिना पर्याप्त पूंजी के स्टार्टअप को बढ़ाने में समस्या आती है।

कोई भी स्टार्ट्अप या बिज़नेस स्टार्ट करना और सबसे बड़ी बात इसके लिए फंड जुटाना इतना आसान नहीं है। लेकिन यदि आप समझदारी से काम लेते हैं और फंडिंग प्राप्त करने के तरीके के बारे में जानकारी रखते हैं तो फिर आप अपने स्टार्ट्अप के सपने को पूरा कर सकते हैं और इसे बहुत आगे तक ले जा सकते हैं। मतलब आपको बस स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए एक शानदार आइडिया की जरुरत है। बाकी स्टार्टअप के लिए फंडिंग प्राप्त करने के बहुत सारे तरीके हैं। तो चलिए जानते हैं उन फंड सोर्स के बारे में जहाँ से आप बिज़नेस स्टार्टअप के लिए फंडिंग जुटा सकते हैं, और स्टार्टअप को आसानी से आगे बढ़ा सकते हैं।

किसी भी बिजनेस की कामयाबी में पैसे की अहम भूमिका होती है। बिजनेस को जितना फैलाना चाहेंगे, उतनी ही रकम की जरूरत पड़ेगी। यही बात स्टार्टअप पर भी लागू होती है। कोई भी स्टार्टअप हो उसे शुरू करने के लिए रकम की जरूरत पड़ती है। अगर स्टार्टअप शुरू हो चुका है और उसका विस्तार करना चाहते हैं, तब भी रकम की जरूरत पड़ती है। कई बार धांसू आइडिया भी सिर्फ इसलिए मर जाता है क्योंकि उसे फंड नहीं मिलता। अब ऐसे काफी लोग सामने आ गए हैं जो अच्छे आइडिया में अपना पैसा इन्वेस्ट करते हैं ताकि वह स्टार्टअप मार्केट में आए और उन्हें भी बढ़िया रकम भी कमाकर दे। हालांकि वे इन्वेस्ट करने से पहले स्टार्टअप या बिजनेस के बारे में कुछ खास सवालों के जवाब चाहते हैं। अगर वे जवाबों से संतुष्ट हो जाते हैं तो पैसा लगा देते हैं।

ये सवाल हर किसी के दिमाग में आता है कि स्टार्टअप को या कंपनी को अपनी शुरुआती पूँजी या पैसे कैसे मिलते हैं? क्योंकि शुरूआत कर रही नई कंपनी के पास कोई सुरक्षा पूँजी या पिछली पूँजी नहीं होती जिस पर वह निर्भर रह सके। ये बात सच भी है कि एक स्टार्टअप्स के लिए पैसा जुटाना बहुत ही कठिन काम होता है। बिज़नेस फंडिंग और किसी व्यवसाय के लिए फंडिंग के अन्य विकल्पों को समझने के लिए, सबसे पहले हम किसी व्यवसाय के जीवन चक्र के बारे में जानते हैं। दरअसल किसी व्यवसाय एक निश्चित समय में व्यवसाय में हुए सभी परिवर्तनों या प्रगति की एक श्रृंखला है। तो आइये जानते है स्टार्टअप को बिजनेस करने के लिए पैसा कहां से मिलता है।

बूटस्ट्रैपिंग द्वारा

बूटस्ट्रैपिंग का अर्थ है खुद से ही फंड की व्यवस्था करना। मतलब शुरुआत में कोई भी आपके स्टार्टअप में पैसे नहीं लगाएगा इसलिए शुरुआत में आपको अपने आप पैसों की व्यवस्था करनी होगी और कम से कम आपको इतने पैसों की व्यवस्था करनी होगी कि आप पहले खुद से अपने स्टार्टअप की शुरुआत कर सकें। भले ही बाद में आपको फंडिंग मिल जाये। मतलब आप अपने स्टार्टअप को तब तक आसानी से चला सकें जब तक आप कहीं से फंडिंग को नहीं जुटा पाते।

इसका अर्थ है कि जब आप बिज़नेस स्टार्ट करते हैं तो आपके पास एक ऐसा ज़रिया ज़रूर होना चाहिए जहाँ से आप आसानी से बिना व्याज के पूंजी की व्यवस्था कर सके। इस फण्ड के द्वारा आप अपना ही पैसा बिज़नेस में लगाते हैं। क्योकि जब तक आप अपना पैसा बिज़नेस में नही लगाते तब तक कोई दूसरा आपके बिज़नेस में क्यों पैसा लगाएगा। यह मुख्य रूप से आपकी बचत हो सकती है या आपके दोस्त, जान पहचान वाले, रिश्तेदार, आदि जहाँ से आपको आसानी से बिना व्याज के फंड की व्यवस्था हो जाये। काफी ऐसे बिजनेसमैन हुए हैं। जिन्होंने बूटस्ट्रैपिंग के द्वारा ही एक बहुत बड़े स्तर पर विशाल बिज़नेस खड़ा किया है।

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क्राउड फंडिंग द्वारा

क्राउड फंडिंग एक ऐसा तरीका है जिसके ज़रिए व्यवसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई इन्वेस्टर्स से छोटी-छोटी रकम जुटाई जाती है। यह ऐसा मंच है जो आम लोगों के सपने पूरे करने में सहायता करता है। जो लोग ऐसी कंपनी को फंड देने के इच्छुक होते है, उनसे फंड एकत्रित करके बिज़नेस को विकसित किया जाता है। इसके बदले में आपको भी इनको कुछ देना होता है जैसे किसी प्रोडक्ट पर स्पेशल डिस्काउंट आदि। यहां आप अपना प्रोजेक्ट लिस्ट करते हैं और आपको कितने पैसों की जरूरत है वह बताना होता है।

क्राउडफंडिंग से स्टार्टअप और पहली बार बिज़नेस करने वाले लोगों के लिए फंड इकट्ठा करने में मदद मिलती है। जिस व्यक्ति को आपका प्रोजेक्ट पसंद आएगा वह आपको पैसे देता है। साथ ही आपको यह बताना होगा कि आप फंड कैसे और कहां इस्तेमाल करेंगे इसकी पूरी जानकारी देनी होती है। क्राउडफंडिंग के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स और वेब आधारित प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल किया जाता है। भारत के प्रमुख क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म में केटो, किकस्टार्टर, कैटापूल्ट, फंडेबल, फ्यूलएड्रीम, विशबेरी, इंडिगोगो, मिलाप, Keto, Kickstarter, Catapult, Fundable, Fueladream, Wishberry, Indiegogo, Milap आदि शामिल हैं।

इनक्यूबेटर व एक्सेलेरेटर द्वारा

इन्क्यूबेटर व एक्सेलेरेटर प्रोग्राम बिज़नेस के लिए फंड जुटाने के कारगार तरीकों में से एक है। इन प्रोग्राम के द्वारा हर साल बहुत सारे स्टार्टअप को सहायता दी जाती है इसलिए आप इसके जरिए भी फंड जुटा सकते हैं। सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी में इनक्यूबेटरस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और वे स्टार्टअप्स को मान्यता प्रदान करने, उनके लिए दिशा निर्देश निर्माण एवं वित्तीय सहयोग प्रदान करने में भूमिका में अदा करते हैं। ये इन्क्यूबेटर्स आपके प्रोडक्ट को तैयार करने में और एक्सेलेरेटर्स बिज़नेस की स्पीड को बढ़ाने में मदद करते हैं। इनक्यूबेटर स्टार्टअप्स को सहयोग तो देते ही हैं साथ ही किसी भी प्रकार की कोई समस्या होने पर उसका निदान भी करते हैं।

एंजेल इन्वेस्टर्स द्वारा

एंजेल इन्वेस्टर्स वो लोग होते हैं जो किसी व्यवसाय या स्टार्ट-अप के शुरुआती समय में उसमें निवेश करते हैं और उसके बदले उसमें कुछ हिस्सेदारी लेते हैं। किसी भी स्टार्टअप में फंडिंग लेने का मुख्य स्त्रोत एंजल इन्वेस्टर्स होते हैं। वैसे तो पूंजी एकत्रित करने के बहुत सारे साधन हैं लेकिन स्टार्टअप के शुरुआती दिनों में एंजेल इन्वेस्टर्स एक बहुत बड़ा वरदान साबित होता है। एंजेल के नाम से ही आप समझ सकते हैं कि ये किसी फ़रिश्ते की तरह होते हैं जो हमारा साथ देते हैं। एक स्टार्टअप का विश्वास अपने एंजल पर होता है। एंजेल इन्वेस्टर्स ऐसे व्यक्तियों या कंपनियों को कहते हैं, जिनके पास बहुत पैसे हो और वे किसी बिज़नेस या स्टार्टअप में इन्वेस्ट करना चाहते हों। वे अपने पैसे को निवेश करने के लिए अच्छे विकल्प और स्टार्टअप की तलाश में रहते है।

एंजल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए आपको अपने बिज़नेस की पूरी प्लानिंग उन्हें बतानी होती है और साथ ही एक शानदार पिच देनी होती है। एक-दूसरे के ऑफर्स से संतुष्ट होने के बाद ही कोई डील साइन की जाती है। भारत में भी हैदराबाद एंजेल्स, इंडियन एंजेल्स नेटवर्क, मुंबई एंजेल्स Hyderabad Angels, Indian Angels Network, Mumbai Angels जैसे कई ऐसे इन्वेस्टर्स हैं जो छोटे-बड़े स्टार्टअप को अच्छी फंडिंग देते हैं और एक स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। स्टार्टअप करने वाले फंडिंग हासिल करने के लिए इनसे संपर्क कर सकते हैं।

स्टार्टअप इंडिया योजना द्वारा

यदि आपके पास एक व्यवसाय शुरू करने का कोई अच्छा आईडिया है जो रोजगार पैदा कर सके तो आप स्टार्टअप इंडिया ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं। दरअसल यह कार्यक्रम प्रधान मंत्री मोदी PM Modi द्वारा एंटरप्रेन्योर की मदद के लिए शुरू किया गया है। आप भी इस योजना का लाभ उठाकर अपने बिज़नेस के लिए फण्ड इक्कठा कर सकते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश स्टार्टअप करने वाले करने वाले युवाओ की शुरुआत को मजबूत बनाकर स्टार्टअप युवाओ को बैंक के माध्यम से फण्ड उपलब्ध कराना है। यह पहली बार 15 अगस्त, 2015 को भारतीय युवाओं को कारोबार की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी।

सोसाइटी स्कीम द्वारा

Society Scheme आपसी ग्रुप द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना है, इसमें आपसी लोग पैसा इक्कठा करके जिस भी व्यक्ति को जरुरत होती है उसे दे देते हैं। फिर ज़रूरतमंद व्यक्ति इन पैसों से कोई भी स्टार्टअप कर सकता है और इसके बाद वह व्यक्ति धीरे धीरे महीने के हिसाब से थोड़ा-थोड़ा कर के पैसे वापस लौटा देता है। इससे ये लाभ होता है कि आपको जरुरत के समय पैसे मिल जाते हैं और सबसे बड़ी बात आपको इसमें अधिक व्याज नहीं देना पड़ता।

लाइन ऑफ़ क्रेडिट द्वारा

ये क्रेडिट भी सामान्य ऋण की तरह ही होता है। स्टार्टअप के लिए फण्ड जुटाने का यह भी एक तरीका है। इसमें बैंको या वित्तीय संस्थानों banks or financial institutions द्वारा कंपनियों या सरकारी संस्थानों को ऋण दिया जाता है। मतलब Line of credit एक प्रकार फण्ड होता है। कई उद्योगों द्वारा इसे आयात (Export) निर्यात (Import) में और किसी अन्य देश में बिज़नेस स्टार्ट करने के लिए लिया जाता है। एक बार राशि स्वीकृत हो जाने पर स्वीकृत राशि में से आप जितनी भी चाहे उतनी राशि निकाल सकते हैं।

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मुद्रा लोन द्वारा

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना Pradhan Mantri MUDRA Yojana (PMMY) के तहत, भारत सरकार ने देश के छोटे कारोबारियों की मदद करने के लिए मुद्रा लोन की व्यवस्था की है। जिससे पूँजी सम्बन्धी खर्च के साथ-साथ संचालन सम्बन्धी खर्च उठाने में भी मदद मिल सके। यानि मुद्रा लोन के माध्यम से भी फण्ड एकत्रित किया जा सकता है। इस लोन के माध्यम से अधिक-से-अधिक 10 लाख रुपये तक का लोन लिया जा सकता है। मुद्रा लोन, कई कारणों से लिए जा सकते हैं, जैसे, रोज़गार पैदा करने के लिए या इनकम जनरेट करने के लिए। मुद्रा लोन तीन प्रकार के होते हैं – तरुण, किशोर, और शिशु।

सरकारी योजनाओं द्वारा

भारत सरकार द्वारा भी समय समय पर कई योजनाएं शुरू की गईं हैं। इनका मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप उद्यमों, SMEs, MSMEs को लोन देना है। इन योजनाओं के जरिए आप आसानी से अपने स्टार्टअप के लिए फंड जुटा सकते हैं। सरकार द्वारा शुरू की गई लोन योजनाओं में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत आने वाला मुद्रा लोन जिसके बारे में ऊपर बता दिया गया है, इसके अलावा स्टार्टअप इंडिया, अटल इनोवेशन मिशन, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडित गारंटी फंड ट्रस्ट, स्टैंड-अप इंडिया, मेक इन इंडिया, ट्रेड-रिलेटिड एंटरप्रेन्योरशिप असिस्टेंस एंड डेवलपमेंट आदि शामिल हैं। आप सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा कर अपने स्टार्टअप को एक दिशा देकर आगे बढ़ा सकते हैं।

पीयर-टू-पीयर लेंडिंग द्वारा

यदि आपका अच्छा क्रेडिट स्कोर नहीं है तो आप आप पीयर-टू-पीयर लेंडिंग (Peer to Peer Lending) के जरिए भी अपने स्टार्टअप के लिए लोन जुटा सकते हैं। क्योंकि बैंक और वित्तीय संस्थानों से लोन के लिए फाइनेंशियल हिस्ट्री के साथ-साथ अच्छा क्रेडिट स्कोर होना जरुरी है। पीयर-टू-पीटर लेंडिंग को P2P जाता है। दरअसल पीयर-टू-पीयर लेंडिंग स्टार्टअप उद्यमों के लिए एक तरह का लोन है, जबकि उधारदाताओं के लिए एक प्रकार का इन्वेस्टमेंट। इसमें उधारदाता, उधारकर्ताओं को इन्वेस्टमेंट के रूप में पैसे उधार देते हैं। इसमें दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें बैंक, NBFCs और MFIs की तुलना में अधिक होती है इसलिए उधारदाताओं को इसमें प्रॉफिट मिलता है।

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