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Shradha Murder Case: इश्क, जुर्म और अकेलापन: शोध के अनुसार 50 प्रतिशत युवा हैं अकेलेपन का शिकार तो वहीं मुजरिम का दिमाग है उसका सबसे बड़ा दुश्मन।

Shradha Murder Case: ऐसे हत्याकांड में मुजरिम का दिमाग परखना है कितना जरूरी, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Highlights –

  • श्रद्धा मर्डर केस कुछ दिनों से काफी चर्चे में है।
  • इस मर्डर केस ने सबको चौंका कर रख दिया है।
  • आरोप है कि महाराष्ट्र के पालघर की रहने वाली श्रद्धा की 6 महीने पहले उनके कथित बॉयफ्रेंड आफताब ने हत्या कर दी और 6 महीनों तक श्रद्धा की मौत को दुनिया से छुपाता रहा और हत्या ऐसी की सुनते ही रूह कांप जाए।

Shradha Murder Case: पहले डेटिंग एप पर मुलाकात, फिर दोस्ती, फिर प्यार और फिर पार्टनर की हत्या। श्रद्धा मर्डर केस कुछ दिनों से काफी चर्चे में है। इस मर्डर केस ने सबको चौंका कर रख दिया है। आपको बता दें कि आरोप है कि महाराष्ट्र के पालघर की रहने वाली श्रद्धा की 6 महीने पहले उनके कथित बॉयफ्रेंड आफताब ने हत्या कर दी और 6 महीनों तक श्रद्धा की मौत को दुनिया से छुपाता रहा और हत्या ऐसी की की सुनते ही रूह कांप जाए। खबरों के अनुसार आफताब ने पहले तो नींद में सो रही श्रद्धा की गला दबाकर हत्या की फिर उसे दो दिनों तक चाकू से 35 टुकड़ों में काटता रहा और 15 दिनों तक पॉलीथीन में दो – दो टुकड़े जंगल में फेंकता रहा।

हत्याकांड की गहराई में जाकर आपको बताएं तो श्रद्धा अपने कथित बॉयफ्रेंड आफताब के साथ 2018 से साथ थी। दोनों एक डेटिंग एप पर मिले थे। पहले मुलाकात फिर दोस्ती और फिर प्यार। इसके बाद दोनों साथ रहने लगे। श्रद्धा के दोस्तों की मानें तो दोनों के रिश्ते शुरुआत में काफी अच्छे थे और श्रद्धा आफताब के साथ बहुत खुश थी। लेकिन समय के साथ दोनों के रिश्ते बदलते गए और बात लड़ाई – झगड़े तक आ गई। खबरों की मानें तो श्रद्धा का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था इसलिए श्रद्धा आफताब के साथ अलग रहने लगी और इसी साल मई में दोनों दिल्ली आ गए। मई में ही आरोपी आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी।

पुलिस छानबीन में श्रद्धा के दोस्त रजत शुक्ला ने बताया कि अचानक उसकी हत्या की खबर मोबाइल पर देखी तो आत्मा अंदर तक हिल गया। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मेरी दोस्त की हत्या कर दी गई है। उसने हमें 2019 में बताया था कि वह 2018 से आफताब के साथ रिश्ते में थी। शुरू में तो सब कुछ ठीक था, लेकिन फिर श्रद्धा बताने लगी कि आफताब उसे अक्सर मारता-पीटता है। वह उसे छोड़ना चाहती थी लेकिन मजबूर थी।

श्रद्धा के दोस्तों ने यह भी बताया कि श्रद्धा के लिए इस रिश्ते से निकलना बहुत मुश्किल हो गया था। उसकी जिंदगी नर्क जैसी हो गई थी। दिल्ली में शिफ्ट होने का फैसला दोनों ने आपसी सहमति से लिया था। रजत ने बताया कि इसी साल 8 मई को दोनों दिल्ली आ गए। श्रद्धा के दिल्ली आने के बाद उससे  संपर्क लगभग टूट गया।

श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण ने बताया कि मौत से दो महीने पहले श्रद्धा ने उनसे संपर्क किया था। अगस्त के बाद से श्रद्धा ने किसी भी मैसेज का जवाब नहीं दिया। उसका फोन भी स्विच ऑफ था। तभी से लक्ष्मण की चिंता बढ़ गई। फिर उन्हें लगा कि पुलिस की मदद लेनी चाहिए। उन्होंने आखिरकार उसके भाई को बताया कि श्रद्धा का कोई अपडेट नहीं मिल रहा है। फिर श्रद्धा के परिवार वालों ने पुलिस में श्रद्धा की मिसिंग रिपोर्ट लिखवाई।

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दिल्ली पुलिस ने पूरे मर्डर केस का राज खोलते हुए आरोपित आफताब को गिरफ्तार कर लिया। आफताब ने पुलिस को बताया कि श्रद्धा उसपर शादी करने का दबाव बना रही थी। परेशान होकर उसने 18 मई को श्रद्धा का गला घोंटा, फिर उसके शव के 35 टुकड़े कर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया। पुलिस इस घटना की और गहराई में जा रही है और अपने तरीके से छानबीन में लगी हुई है।

ये तो रही पूरे मर्डर केस की कहानी लेकिन यहां उठते हैं दो सवाल पहला सवाल यह उठता है कि ऐसे मामलों में हत्यारे का माइंडसेट कैसा रहता होगा। वहीं दूसरा सवाल की जब श्रद्धा आफताब के बर्ताव से वाकिफ थी तो ऐसा क्या था जो उसे आफताब से अलग होने से रोक रहा था।

देखा जाए तो दोनों चीजें एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पहले आते हैं प्यार में गलत बर्ताव सहने के बावजूद पार्टनर के साथ रहने की ज़िद पर। आपको बता दें कि कई रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स बताते हैं कि एक रिलेशनशिप में सिर्फ प्यार जरूरी नहीं होता है, बल्कि इसके लिए दोनों पार्टनर में बहुत सी चीजें होना जरूरी है खासकर के ऐसे रिश्ते में होना जो एब्यूजिव है। यह दर्शाता है कि कोई शख्स किसी रिश्ते में रहने के लिए कितना नाजुक हो सकता है। यह दर्शाता है कि उस शख्स के लिए अकेलेपन में रहना कितना मुश्किल हो सकता है और सिर्फ अकेलेपन को झेलने की ताकत न होना उस शख्स को ऐसे रिश्ते में डाल सकता है।

एक सर्वे के अनुसार 18 से 22 साल के 50% युवाओं ने कहा कि वे अकेलापन महसूस करते हैं। इनमें भी उनकी संख्या ज्यादा है, जो सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय हैं। वहीं 58% महिलाओं और 64% पुरुषों ने कहा कि वे तमाम सुविधाओं के बावजूद अकेलापन महसूस करते हैं।

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