क्या मीडिया पर सेन्सर्शिप होनी चाहिए?
मीडिया पर सेन्सर्शिप : सही या ग़लत?
मीडिया एक बहुत ही शक्तिशाली हथियार है। हर व्यक्ति मीडिया से किसी न किसी तरह जुड़ा है। यह हमें समाज और विश्व में हो रही गतिविधियों से परिचित कराता है। जब मीडिया इतना ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली है तो क्या तब भी मीडिया पर सेन्सर्शिप होनी चाहिए?
सेन्सर्शिप क्या है? सेन्सर्शिप का अर्थ है लोगों में चर्चित सूचनाओं और विचारों या कोई भी रोषकारी तस्वीर पर सरकार या किसी संस्था द्वारा किसी प्रकार का नियंत्रण या पाबंदी। मीडिया पर सेन्सर्शिप के पक्ष और विपक्ष दोनो का ही पलड़ा भारी है। आइए जाने इसके फ़ायदे और नुक़सान:-
मीडिया पर सेन्सर्शिप के फ़ायदे-
- इससे बच्चों पर सस्ते साहित्य का दुष्प्रभाव नही पड़ता। यदि मीडिया पर सेन्सर्शिप ना हो तो बच्चों पर सेक्स जैसे विषय का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- इससे देश की सुरक्षा बनाए रखने में सहायता होती है। यदि मीडिया पर सेन्सर्शिप ना हो तो शायद वे कुछ ऐसी सूचनाएँ दिखा दे जो देश की सुरक्षा के हित में ना हो।
- मीडिया पर ऐसी कुछ वस्तुयें होती हैं जो अहिंसा से भरी होती हैं और वो दुष्कर्मों को जन्म दे सकती है यदि इनकी रोकथाम ना की जाए तो शायद ये बच्चों के दिमाग़ को घेर ले और उन्हें भ्रष्ट बना दे।
- मीडिया हम सभी को सूचना देने का कार्य करती है यदि मीडिया पर सेन्सर्शिप ना हो तो शायद ऐसा हो सकता है की हम चीज़ों को उस दृष्टिकोण से देखेंगे जिससे हमें मीडिया के मालिक दिखाना चाहेंगे। अर्थात ऐसा हो सकता है की हम ग़लत चीज़ों पर भी विश्वास करने लगे।
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मीडिया पर सेन्सर्शिप के नुक़सान-
- अब समय बदल रहा है। नयी पीढ़ी अब पहले जैसी नही है। यदि सेक्स जैसे विषय पर ऐसे सेन्सर्शिप लगायी जाएगी तो इससे उनकी इसके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ेगी। और फिर वे ग़लत जगह से सूचना हासिल करने की कोशिश करेंगे जो सही नही होगा।
- हमारे देश में प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने का मौलिक अधिकार है। सेन्सर्शिप उस अधिकार का उल्लंघन करती है।
- सेन्सर्शिप किसी एक विषय पर लोगों की अवधारण बना लेने का कारण बनती है। उदाहरण के लिए यदि युद्ध के क्षेत्र की रिपोर्टिंग में मृत लोगों के सही आँकड़े ना बताए जाए तो देश के लोग असली परिस्थितीयो से वाक़िफ़ कैसे होंगे?
- यदि सरकार ही सूचना पर नियंत्रण रख रही है तो ऐसा हो सकता है की वो मीडिया को अपने प्रतिकूल सूचना को लोगों तक पहुँचाने ही ना दे।
अंत मे यह कहा जा सकता है की मीडिया एक ऐसा हथियार है जिसे यदि समझदारी से प्रयोग में लाया जाए तो ये हमें बहुत से फ़ायदे दे सकता है और अगर इसका दुरुपयोग किआ जाए तो इसके नकारात्मक प्रभावों को रोका भी जा सकता। किसी चीज़ को नियंत्रण मे रखना ग़लत भी है पर कुछ जगहों पर यह लोगों के विरुद्ध हो जाती है।