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Resident doctor strike- यहां जाने रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल का कारण और अब तक की अपडेट

Resident doctor strike: NEET-PG के कॉउंसलिंग में हो रही देर का विरोध कर रहे डाक्टर्स को हिरासत में लिया गया


Resident doctor strike: जहां एक तरफ दुनिया कोरोनोवायरस के नए वेरियंट ओमिक्रोन के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं भारत में सरकारी अस्पतालों के रेसिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को अपना विरोध तेज कर दिया। जिसके कारण में हजारों मरीज इलाज कराने में परेशानी हो रही है।  NEET PG काउंसलिंग 2021 के कई बार स्थगन और उसके बाद मेडिकल कॉलेजों में रेसिडेंट डॉक्टरों के नए बैच के प्रवेश में देरी के खिलाफ रेसिडेंट डॉक्टर 27 नवंबर से विरोध कर रहे हैं।

फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के नेतृत्व में दिल्ली में रेसिडेंट डॉक्टर पिछले 10 दिनों से NEET-PG 2021की काउंसलिंग में बार-बार देरी का विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर्स आपातकालीन सेवा सहित सभी चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार कर रहे हैं।

सोमवार की रात हुई हिंसा की वजह क्या है?

लगातार होती देरी से परेशान सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के लिए मार्च निकाला। इस दौरान सरोजिनीनगर पुलिस स्टेशन के पास पुलिस ने रेजिडेंट डॉक्टर्स पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें कई लोग घायल हो गए। जिसमें महिलाएं भी शामिल है। वहीं दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि इस दौरान कुछ पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं।

इस घटना में बाद FORDA द्वारा जारी एक बयान में “पुलिस की बर्बरता” का दावा किया और इसे “चिकित्सा बिरादरी के इतिहास में काला दिन” कहा।

FORDA का दावा है कि इसके कई सदस्यों को “हिरासत में” लिया गया था, जब उन्होंने सिर्फ एक विरोध मार्च निकालने की कोशिश की थी।  बाद में जारी एक बयान में, फोर्डा ने उनकी मांग पूरी नहीं होने पर मंगलवार से सभी स्वास्थ्य संस्थानों को पूरी तरह से बंद करने की चेतावनी दी।

उनका मानना है की रेसिडेंट डॉक्टर्स जो कि  ‘कोरोना वारियर्स’ हैं उन्होंने NEET-PG काउंसलिंग 2021 में तेजी लाने के लिए शांतिपूर्वक विरोध किया जबकि पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा, घसीटा और हिरासत में ले लिया। इसके अलावा, उन्होंने फोर्डा के सभी प्रतिनिधियों और हिरासत में लिए गए रेसिडेंट डॉक्टर्स की तत्काल रिहाई की मांग की।

आख़िर डॉक्टर  विरोध क्यो कर रहे हैं?

NEET-PG 2021 काउंसलिंग में देरी को लेकर डॉक्टर विरोध कर रहे है, जो आर्थिक आरक्षण(EWS) को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही याचिकाओं के एक बैच के परिणाम के कारण रुकी हुई है।

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MBBS की डिग्री पूरी करने के बाद, डॉक्टर्स को पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए NEET-PG के लिए उपस्थित होना पड़ता है।  नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) आमतौर पर जनवरी में इस परीक्षा का आयोजन करता है, लेकिन कोरोनावायरस के मद्देनजर परीक्षा को और स्थगित कर दिया गया था। बाद में सितंबर में, परीक्षा आयोजित की गई, लेकिन मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग में देरी हुई, जिससे यह विरोध शुरू हुआ।

इसके अलावा, उन्होंने देश भर में रेसिडेंट डॉक्टरों की “कमी” की ओर इशारा किया डॉक्टरों ने कहा है कि रोकी गई काउंसलिंग के कारण फ्रंटलाइन पर 45,000 डॉक्टरों की कमी हो गई है, NEET-PG 2021 बैच की काउंसलिंग में आठ महीने की देरी के वजह से। पिछली बार भी जब कोरोना अपनी चरम पर था तब डाक्टरों की कमी की वजह से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

जैसा कि विरोध जारी है, केंद्र द्वारा संचालित राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के रेसिडेंट डॉक्टर्स देशव्यापी विरोध के तहत सभी नियमित और आपातकालीन सेवाओं का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे मरीजों की देखभाल प्रभावित हो रही है।

जीबी पंत अस्पताल, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल, लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) और सफदरजंग अस्पताल सहित राष्ट्रीय राजधानी जैसे कम से कम 10 अस्पतालों को हड़ताली रेसिडेंट डॉक्टर्स की अनुपस्थिति में सलाहकार डॉक्टरों को लाना पड़ा है।

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आरडीए (RDA) ने केंद्र सरकार और भारत के सर्वोच्च न्यायालय से देश के रेसिडेंट डॉक्टर्स की शिकायतों पर ध्यान देने और एनईईटी-पीजी 2021 काउंसलिंग के साथ-साथ प्रवेश प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आवश्यक उपाय करने का आग्रह किया है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र सरकार से विरोध करने वाले डॉक्टरों की मांगों को सुनने का आग्रह किया। सरकार को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा, “एक तरफ जहां ओमिक्रोन वेरिएंट खतरनाक गति से फैल रहा है, वहीं दिल्ली में केंद्र सरकार के अस्पतालों में डॉक्टर हड़ताल पर हैं… कोविड -19 मामले फिर से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों को अस्पतालों में होना चाहिए, सड़कों पर नहीं”।

ओपीडी में डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए इंतजार कर रहे हैं। विरोध के कारण ओपीडी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।

हाल ही में हुई केन्द्रीय स्वस्थ मंत्री मंसूख मंडाविया के साथ हुई मीटिंग से कोई निष्कर्ष नहीं निकलता दिख रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र में उनसे NEET-PG परामर्श संकट को हल करने और कोरोनोवायरस महामारी की संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए जनशक्ति बढ़ाने का आग्रह किया।

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Himanshu Jain

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