क्या सजा-ए-मौत नहीं है बलात्कार का समाधान, अपराधियों में सज़ा का खौफ ख़त्म
13 वर्ष से कम उम्र की लड़की से बलात्कार करने पर मिलेगी सजा-ए-मौत
एक संघीन जुर्म के प्रावधान पर ज़ोर देना चाहिए या उसके समाधान पर,ये सवाल शायद भारत के हर व्यक्ति के मन में घर कर चुका होगा.आखिर कब तक पीड़िता के माँ बाप न्यायलय के सामने न्याय की गुहार लगाते नज़र आएंगे ? हालही में कई नाबालिकों के रेप केस सामने आये हैं जिसमे न्याय मिलना अभी बाकी है. मगर अब प्रश्न ये है की ऐसी क्या वजह है जिससे हर साल लगातार रेप के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं. आये दिन नए नए प्रावधानों के बीच क्या हम सुरक्षा की और ध्यान कम दे रहे हैं ? क्या अपराधियों में सज़ा का खौफ ख़त्म हो चुका है ?
अब तक के रूह हिला देने वाले रेप केस
2018 – कठुआ रेप केस
2015 -रोहतक रेप केस
2014 -बदायू रेप केस
2013 -कामदुनी रेप केस
2012 -दिल्ली रेप केस
1973 -अरुणा शानबाग केस ,मुंबई
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क्या सज़ा ए मौत होगी काफी ?
भारत में 2018 को एक कानूनी प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे 13 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार पर मौत की सज़ा सुनाई जाएगी. मगर घिनोने कृत्य के लिए मौत की सजा काफी है ? और अगर हाँ तो क्यों अब भी बेख़ौफ़ जुर्म हो रहे हैं? बेटियों को लगातार खो रहे हैं. देश में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. महिलाओं की सुरक्षा को कब तक नज़रअंदाज़ किया जायेगा.
भारत में अब है एक बड़े बदलाव की आवश्यकता
भारतीय क़ानून प्रणाली मजबूत होने के बावजूद भारत में अपराधों की संख्या कम नहीं हो रही है. तो शायद अब वक़्त आ चुका है एक बड़े बदलाव का जिसमे हर जुर्म की एक सख्त सज़ा होगी. भारत के हर व्यक्ति को एक ऐसे दिन का इंतज़ार है जब अखबार के पन्नो में एक भी रेप केस दर्ज़ नहीं होगा.
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