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Padma Awards Controversy: जानिए ऐसे लोगों को जिन्होंने पद्म पुरस्कारों को अस्विकरा, बताई उसके पीछे की वजह

 Padma Awards Controversy: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा। जानिए और कौन है शामिल इस सूची में


Highlights:

  • Padma Awards Controversy: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ने क्या कहा पद्म पुरस्कार के बारे में?
  • इस वर्ष 128 लोगों को सम्मानित किया जाएगा पद्म पुरस्कार से।
  • भारत के पहले शिक्षा मंत्री ने भारत रत्न क्यों नहीं स्वीकारा था?

Padma Awards Controversy: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक से इनकार करने के एक दिन बाद, महान गायिका संध्या मुखर्जी और तबला प्रतिपादक अनिंद्य चटर्जी ने भी पुरस्कारों से इनकार कर दिया है।

25 जनवरी को घोषित पुरस्कारों में 90 वर्षीय संध्या मुखर्जी को भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित करने की घोषणा की गयी थी। संध्या मुखर्जी का करियर 70 साल से अधिक का रहा है, उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के छात्र, मुखर्जी ने भारतीय सिनेमा के लिए हजारों गाने गाए हैं और आधुनिक, शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय संगीत के एल्बम तैयार किए हैं।

मुखर्जी के रिश्तेदारों ने मीडिया को बताया कि मंगलवार दोपहर को जब एक अधिकारी ने उन्हें फोन करके बताया कि उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा तब मुखर्जी ने पुरस्कार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

“यह जानबूझकर संध्या जी का अपमान करने के लिए किया गया है क्योंकि वह एक बंगाली है। कुछ लोग, जो संध्या मुखर्जी के छात्र होने के लायक भी नहीं हैं, उन्हें पद्म भूषण से पहले ही सम्मानित किया जा चुका है।” गायक और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद सुमन चटर्जी ने कहा, जिन्होंने कुछ साल पहले राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।

ऐसा ही आरोप अनिंद्य चटर्जी ने मंगलवार को लगाया था। उनका मानना है कि उन्हें पद्म श्री से सम्मानित उन लोगों ने किया है जो उनके या उनके करियर के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। 2002 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले चटर्जी ने कहा, “हालांकि मैंने विनम्रता से मना करते हुये उन्हें धन्यवाद कहा लेकिन मैं अपने करियर के इस चरण में पद्म श्री प्राप्त करने के लिए तैयार नहीं हूं। मैंने वह चरण अब पार कर लिया है।”

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बुद्धदेव भट्टाचार्य ने भी पद्म भूषण, भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान को स्वीकार करने से इनकार करते हुए एक बयान में कहा “मुझे पद्म भूषण पुरस्कार के बारे में कुछ भी पता नहीं है। इस बारे में मुझसे किसी ने कुछ नहीं कहा। अगर मुझे पुरस्कार दिया गया है तो मैं इसे स्वीकारने से इनकार करता हूं।”

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, “मुझे लगता है कि भट्टाचार्जी ऐसी सरकार द्वारा सम्मानित नहीं होना चाहते थे जिसने इस देश के लोगों के बीच विभाजन पैदा किया हो।”

पद्म पुरस्कार, 2022

हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। पद्म पुरस्कार, देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक, तीन श्रेणियों – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किए जाते हैं।

गृह मंत्रालय ने मंगलवार, 25 जनवरी, 2022 को पद्म पुरस्कार पाने वालों की सूची की घोषणा की। पुरस्कार विभिन्न विषयों, गतिविधियों के क्षेत्रों में दिए जाते हैं, जैसे- कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा, आदि।

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इस वर्ष राष्ट्रपति ने दो युगल मामलों सहित 128 पद्म पुरस्कारों को प्रदान करने की मंजूरी दी है। इस सूची में 4 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 107 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पाने वालों में 34 महिलाएं हैं और सूची में विदेशियों, एनआरआई और ओसीआई और 13 मरणोपरांत पुरस्कार विजेताओं भी शामिल हैं।

सिविल सेवाओं में देश के लिए उनके योगदान के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को इस साल मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साइरस पूनावाला, जिसने COVID-19 वैक्सीन कोविशील्ड का निर्माण किया, और भारत बायोटेक के कृष्णा एला और सुचित्रा एला, जिसने भारत के स्वदेशी कोरोनावायरस वैक्सीन कोवैक्सिन का उत्पादन किया, उनको भी पद्म भूषण दिया जाएगा।

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया जाएगा।

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा और गायक सोनू निगम को इस वर्ष पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा।

आइए अब हम कुछ प्रतिष्ठित कलाकारों, पत्रकारों, लेखकों और राजनेताओं पर एक नज़र डालते हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में रोष और हत्याओं से लेकर व्यक्तिगत कारणों से प्रतिष्ठित पुरस्कारों को अपनाने से अस्वीकार कर दिया।

सलीम खान: पद्मश्री (2015)

लेखक सलीम खान ने पद्मश्री लेने से इनकार करते हुए कहा था कि “अब बहुत देर हो चुकी है और मेरे ही छेत्र में दूसरों को यह बहुत पहले ही मिल गया है जबकि सिनेमा में मेरा योगदान बहुत अधिक रहा है। इसलिए, मैंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।”

खुशवंत सिंह: पद्म भूषण (1984)

पत्रकार को 1974 में पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गयी थी, लेकिन उन्होंने भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार द्वारा स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी के विरोध में 1984 में पुरस्कार लौटा दिया। 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

रोमिला थापर: पद्म भूषण (1992 और 2005)

इतिहासकार ने 1992 और 2005 में पद्म भूषण को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वह केवल “अकादमिक संस्थानों या मेरे पेशेवर काम से जुड़े लोगों से पुरस्कार स्वीकार करती हैं।”

सितारा देवी: पद्म भूषण (2002)

महान कथक नर्तक ने पद्म भूषण को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा था, “यह मेरा अपमान है” प्रतिपादक इस बात से नाराज़ थे कि अन्य उनसे कनिष्ठ को पद्म विभूषण प्राप्त हो चुका था, और उन्होंने घोषणा की कि “मैं भारत रत्न से कम कोई पुरस्कार स्वीकार नहीं करूंगी”।

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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

भारत के पहले शिक्षा मंत्री और स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारत रत्न के पुरस्कार को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जो लोग राष्ट्रीय सम्मान के लिए चयन समितियों का हिस्सा हैं, उन्हें इसे स्वयं प्राप्त नहीं करना चाहिए। हालांकि सरकार ने उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।

Conclusion: पुरस्कार से सम्मानित करना किसी व्यक्ति द्वारा अच्छे किए गए काम को सरहाने का एक जरिया है। देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित होना किसी भी नागरिक के लिए गर्व की बात है मगर वही कई एसे भी है जिन्होने इन पुरस्कारों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इस लेख में हमने आपको उन्ही लोगों में से कुछ के बारे में बताने का प्रयास किया है।

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Himanshu Jain

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