अजब - गजबलेटेस्ट

omg !!! बिना हाथ लगाए आपके साथ -साथ घूमने लगता है ये उड़ने वाला छाता

बिना हाथ लगाए आपके साथ -साथ घूमने लगता है ये उड़ने वाला छाता: जानिए कैसे? 


लगी आज सावन की झड़ी हैं। जी हाँ, बारिश का मौसम आते ही आपको एक छाते का ही तो सहारा होता है जो आपको भीगने से बचा सकता हैं।  हमारे भारत देश में ज्यादातर सामान्य छाते ही देखने को मिलते हैं।  लेकिन क्या कभी आपने उड़ने वाले छाते के बारे में सुना है ?   2017 में ही कंपनी ने इस की खोज शुरु कर दी थी जिससे की वो उपयोगकर्ता को समझ सके. जापान एक ऐसा देश है जो पूरी दुनिया में अपनी तकनीकी  क्षमता के लिए जाना जाता है. इसी क्रम में जापान की एक जानी मानी आईटी कंपनी ने एक ऐसे छाते का अविष्कार किया है जो उड़ान भरता है.

उड़ने वाले इस छाते की यह विशेषता है कि बरसात के वक्त आपको इसे हाथ से पकड़ कर चलने की जरुरत नहीं होती बल्कि छाते में लगे सेंसर की सहायता से यह खुद उसी दिशा में आपके साथ साथ चलने लगता है, जहां तक आपको जाना होता है या जिस ओर जाना होता है. ऐसी स्थिति में जब आपके दोनों हाथों में सामान होता है और छाता पकड़ने की गुंजाईश न के  बराबर होती है, तब ये छाता आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है.

कैसे उड़ता है यह छाता? 

यह छाता आपके साथ साथ ड्रोन तकनीक की मदद से उड़ता है. इस ड्रोन में सेंसर लगा होता है, जिसे यह पता चलता रहता है कि आपको किसी दिशा में जाना है. सेंसरयुक्त इस छाते का वजन पांच किलों के आस पास होता है. अभी इस तकनीक को पूरी तरह से विकसित किया जाना बाकी है. अभी यह सिर्फ पांच मिनट तक ही व्यक्ति के साथ साथ उड़ान भर सकता है. इसे बनाने वाली जापानी कंपनी आशी पॉवर इस पर काफी गहनता से कार्य कर रही है.

आशी पॉवर टेलिकॉम टेक्नॉलॉजी की अग्रणी कंपनी है. आशी पॉवर की तकनीकि विशेषज्ञों की एक पूरी टीम इस पर शोध कार्य कर रही है. ओलिंपिक से पहले बाजार में लाना लक्ष्य  आशी पॉवर से जुड़े सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2020 में होने वाले ओलिंपिक और पैरा ओलिंपिक गेम्स से पहले इस छाते को व्यवहारिक उपयोगिता के साथ बाजार में लाना लक्ष्य है. आशी पॉवर के प्रेसिडेंट केंजी सुजुकी ने मीडिया के साथ इस छाते पर चर्चा करते हुए बताया कि उनके दिमाग में 2014 में ही इस तरह के छाते के निमार्ण की बात आई थी. उनका मानना था कि दुनिया भर में तकनीक लगातार आगे बढ़ रही है. ऐसे में अब एक ऐसे छाते का निर्माण भी बेहद जरुरी है जो कि बारिश या धूप के समय जब व्यक्ति के दोनों हाथ व्यस्त हो तो भी वो बिना हाथ से पकड़े छाते का इस्तेमाल कर सके.
तकनीकी अड़चनों के बावजूद मिलेगी कामयाबी 

केंजी सुजुकी ने सिविल एयरोनॉटिक्स के नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि ड्रोन को किसी भी सार्वजनिक जगह या किसी व्यक्ति या भवन से करीब 30 मीटर की दूरी पर चलना चाहिए. यही वजह है कि प्रारंभ में उड़ने वाले इस छाते का इस्तेमाल निजी स्थानों पर ही होगा. आशी पॉवर ने कुछ वर्ष पूर्व ऐसे सेंसर तकनीक पर काम शुरु किया था जिससे की वो यूजर को पहचान सके और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता से उन्हें फॉलो कर सके. अभी इस सिस्टम की दिक्कत यह है कि इसका वजन ज्यादा है, जिसकी वजह से यह ज्यादा समय तक उड़ान भर पाने में सक्षम नहीं है. इसके अलावा थोड़ी कानूनी अड़चन भी है, फिर भी हम उम्मीद कर सकते हैं कि उड़ने वाला छाता जल्द ही पूरी दुनिया में छा जाएगा.

Have a news story, an interesting write-up or simply a suggestion? Write to us at info@oneworldnews.com

Back to top button