Over Earning Wife: क्या Over-earning Wife से होती है पति को परेशानी ?
Over Earning Wife: मॉडर्न डिग्री और पुरानी सोच क्यों पुरुषों को लगता है बीवी की कमाई उनकी इंसल्ट है?
Highlights:
- 2019 में ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के एक सर्वे में पाया गया कि, अगर पारिवारिक आमदनी में पत्नी का योगदान 40 फीसदी या उससे ज्यादा होता है तो पति तनाव में आ जाते हैं।
- कई पुरुष ऐसा मानते हैं कि अगर बीवी ज्यादा कमाती है तो यह मनमुटाव और तानों का सबब बन सकता है।
Over Earning Wife: महिलाएं अब अपने हक और अधिकारों के लिए जागरूक होने लगी हैं। महिलाओं में शिक्षा का स्तर बढ़ने लगा है जिससे परिवार ही नहीं समाज भी विकासशील हो रहा है। महिलाएं अब दोनों स्तर पर ज़िंदगी देखने लगी हैं। घर से लेकर बाहर तक महिलाएं आजकल सब संभाल रही हैं। तो गौरतलब है कि महिलाओं का योगदान आर्थिक हिस्से में भी होगा। हम 21वीं सदी में हैं समाज हमारा बदल रहा है खास करके महिलाओं के लिए। लेकिन आज भी क्या महिलाओं के कुछ कदम इस पुरुषवादी समाज को खटकते हैं ? क्या आज भी महिलाओं की घर – गृहस्थी में आर्थिक मदद से पुरूषों को परेशानी होती है ?
हम एक ऐसे समाज के साथ लंबा सफर तय कर चुके है जिसकी मानसिकता रूढ़िवादी रही है। महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हों, अपनी शिक्षा को एक नया आयाम दें साथ ही घर – गृहस्थी संभालने में रुपये पैसों का योगदान करें यह आज भी कई पुरूषों को चुभता है और यह मात्र हमारे देश का ही हाल नहीं है यह हाल है उन बड़े – बड़े देशों का जो अपने आप को दुनिया के सामने मॉडर्न विचारों वाला प्रस्तुत करते हैं।
नवभारत टाइम्स के एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के एक सर्वे में पाया गया कि, अगर पारिवारिक आमदनी में पत्नी का योगदान 40 फीसदी या उससे ज्यादा होता है तो पति तनाव में आ जाते हैं।
भारत देश की बात करें तो यहां यह समस्या और गंभीर नज़र आती है। आपको हम अपने देश के उन पुरुषों की बात बताएंगे जो अपनी पत्नी की कमाई को सीधे आत्मसम्मान से जोड़ देते हैं और इसी क्रम में कई अंतरंग जवाब देते नज़र आते हैं।
मनोवैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि इंसान आमतौर पर कमाई को आत्मसम्मान का प्रतीक मानता है। कई स्टडी में ये प्रूव हो चुका है कि पुरुष अपनी वैल्यू कमाई से आंकते हैं। कई पुरुष ऐसा मानते हैं कि अगर बीवी ज्यादा कमाती है तो यह उनके लिए मनमुटाव और तानों का सबब बन सकता है। यहाँ तक की कई मामलों में घर तक टूटने तक की नौबत आ जाती है।
एनबीटी टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मॉन्स्टर सैलरी इंडेक्स के आंकड़े बताते हैं कि भारत में पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की औसत आमदनी 19 प्रतिशत कम हैं। विमिन ऑफ इंडिया इंक सर्वे में बताया जाता है कि 2018 में घंटे के हिसाब से पुरुषों की औसत सैलरी 242.49 रुपये थी जो महिलाओं की 196.3 रुपये प्रति घंटे की सैलरी से 46.19 रुपये अधिक थी।
यह स्तर छोटे शहरों में अधिक है।
रेडिट की एक यूजर आरती शर्मा जो धनबाद की रहने वाली हैं वह कहते हैं कि उनकी शादी कुछ सालों पहले हुई एक ऐसे लड़के से हुई जो एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। आरती की सैलरी लड़के से कुछ हज़ार अधिक थी। शादी के कुछ महीनों बाद ही आरती को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। आरती बड़े दुख के साथ कहती हैं कि उनके पति ने उनकी नौकरी मात्र इसलिए छुड़वाया क्योंकि वह अपने पति से अधिक कमाती थीं औऱ उसका पति ये बात अपने दोस्तों से कह पाने में शर्म महसूस कर रहे थे।
ये मात्र छोटे शहरों की समस्या नहीं है। मॉडर्न परिवारों में भी इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती है।
दिल्ली के एक पॉश कॉलोनी में रह रहा एक ज्वाइंट परिवार जो अपनी बहु के नौकरी के खिलाफ नहीं है लेकिन नौकरी होनी चाहिए तो सरकारी। जी हैँ, रेडिट की एक यूजर प्रिया अग्रवाल कहती हैं कि शादी से पहले वह एक निजी कंपनी में एच आर के पोस्ट पर कार्यरत थीं। शादी से पहले यह बात सामने निकल कर आती है कि उनकी होने वाली फैमली के पास अच्छा – खासा पैसा है, लड़का सरकारी क्लर्क की पोस्ट पर है जो प्रिया के मुकाबले कम पैसे कमाता है। प्रिया बताती हैं कि उनके घरवाले शादी के लिए प्रिया को मना लेते हैं यह जानते हुए भी की प्रिया की नौकरी शादी के बाद जाने वाली है इसलिए क्योंकि लड़का सरकारी नौकरी करता है और उसका परिवार संपन्न है। प्रिया कहती हैं कि उनके पति को इस बात से समस्या है कि वह प्राइवेट में उनके सरकारी नौकरी के मुकाबले अधिक पैसा कमाती हैं, मुझे सरकारी नौकरी करनी चाहिए या कोई नौकरी नहीं ये तो उनका दिखावा है।
इंदौर के एक रेडिट यूजर संतोष गुप्ता कुछ इस तरह का बहाना बनाते हुए नज़र आते हैं। संतोष गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी का जॉब छुड़वाया क्योंकि अधिक पैसे की लालच नहीं है उन्हें। वह चाहते हैं उनकी पत्नी आराम से रहे वह अधिक भागदौड़ न करें।
जी हाँ, इस मामले में कई पुरूषों का यह मानना होता है कि “ मैं तो कमा ही रहा हूँ, तुम्हें पैसे की क्या दिक्कत है” ।
लेकिन यही पुरुष शायद इस बात से अनजान रहते हैं या कहूँ तो जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं कि हर स्त्री, हर महिला को अपनी अलग पहचान बनाने का पूरा हक है। वह मात्र किसी की मिसेज बनकर अपनी ज़िंदगी नहीं बिताना चाहती।
कई पुरुष कमाई को ही जीवन का आधार मानते हैं उन्हें लगता है जो घर में पैसे कमाता है उसकी अधिक वैल्यू होनी चाहिए और ऐसे में खुद से ऊपर अपनी पत्नी को देखना आज भी कई पुरूषों को खलता है।
यह बात मात्र इंडिया में रहने वाले भारतीय मर्दों की नहीं है। वो मर्द जो अमेरिका, कनाडा, यूके जैसे बड़े देशों में एनआरआई बनकर रहते हैं उनकी सोच भी कुछ ख़ास अलग नहीं है।
Day 11 – Feathers 🕊
“I have to go.”
“I’m proud of you. Don’t let me be a shackle.”
Yasha letting go of her grief and guilt over her wife and earning her wings back as a result? Such a beautiful moment.#yashanydoorin #CRinktober #CRinktober2020 #criticalrolefanart pic.twitter.com/CM14NO5WEQ
— Victoria Courtemanche {{Commissions OPEN}} (@TimeSorceror) October 12, 2020
Read more: Divorce in India: भारत मे टूट रही है शादियां, चौका देने वाला आकड़ा आया सामने
अमेरिका के पिट्सबर्ग में रहने वाली याशिका मित्तल की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। यासिका एक एमबीए ग्रैजुएट हैं। उनकी हाल ही में शादी अमेरिका में रहने वाले एक एनआरआई से हुई। शादी के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दी। वजह उनके पति का एक ही कंपनी में काम कर उनसे कम पैसा कमाना था। इस बात को लेकर उनकी शादीशुदा जिंदगी उन्हें खतरे में दिखने लगी थी। इसलिए उन्होंने परेशान होकर अपनी जॉब छोड़ दी। वह रेडिट पर लिखती हैं उनकी अधिक सैलरी और ऊँची पोस्ट से उनके पति को परेशानी होने लगी थी और हर दिन वह घर में किसी न किसी कारण से उनसे लड़ने लगे थे। याशिका ने अपनी शादी बचाने के लिए अपनी जॉब की कुर्बानी देनी सही समझी।
ये कहानियों उन लोगों की हैं जो एक मॉडर्न परिवार का हवाला देकर दुनिया के सामने रोज आते हैं। कहने के लिए ये पुरुष बहुत पढ़े – लिखे हैं, बड़ी – बड़ी डिग्रियाँ हैं इनके पास लेकिन जब बात सोच पर आती है तो औंधे मुँह नीचे गिर जाते हैं।
यही क्यों ऐसा हाल समाज के हर वर्ग में रह रहे पुरूषों का है जो अपनी पत्नी की खुद से अधिक कमाई को अपने आत्मसम्मान के खिलाफ मानते हैं।
अब वक्त आ चुका है कि महिलाएं अपना मत बिना किसी डर, बिना किसी रिश्ते के टूटने का खौफ, अपने पतियों के अजीबोगरीब ख्वहिशों के तले जीना छोड़ दें और इसमें पुरुषों की भागीदारी महिलाओं को समझने, उन्हें बनाने में अधिक हो। क्योंकि बदलाव एक व्यक्ति से पूरे समाज तक ही जाएगा।