जानिए क्यों माँ बाप की सहमति एक बच्चे के लिए होती है ज़रूरी
माता पिता एक बच्चे के जन्मदाता होते है। भले ही उसकी ज़िन्दगी की शुरआत उसके माँ बाप के कारण ही होती हो, ओर किसी भी बच्चे की किस्मत उसके माँ बाप के हाथ में नहीं होती। किस्मत एक ऐसी चीज़ है जो किसी की इच्छा अनुसार नहीं चलती। ज़िन्दगी की ये गाड़ी हमारे चलाने से नहीं चलती। ये गाडी चलती रहती है, इसे मंज़िल तक हम पहुँचते है।
हमारी ज़िन्दगी सिर्फ एक बार मिलती है हमे। इसमें हम क्या करना चाहते है और क्या नहीं, ये निर्णय हमें करना होता है। कोई भी हमसे ज़बरदस्ती कुछ नहीं करवा सकता। आखिर हमारी किस्मत कोई और नहीं लिखता।
बच्चे अक्सर अपनी इच्छाओं और अपने सपनो का गला घोंट देते है। माता पिता का डर बच्चो ओ इतना डरा देता है कि वह चुप चाप वही करते है जो उनके माता पिता उनसे करने की उम्मीद करते है। उम्मीदें या अरमानो का बोझ इतना ज्यादा होता है कि किसी बच्चे से संभलता ही नहीं। उस बोझ तले चलने से बेहतर वह अपनी जान देना समझते है।
भारत में हर साल करीब 1 लाख बच्चे आत्महत्या करते है। जिम्मेदारियो का बोझ उन पर इतना ज्यादा होता है कि उनसे संभाले नही संभालता। ऊपर से जब माता पिता उन्हें उनकी मर्ज़ी का कुछ करने से मना करदे तो ज़िंदगी एक एहसान की तरह जी जाती है। इसी वजह से उन्हें अपनी जान लेना ज़्यादा आसान लगता है।
आजकल बच्चे अपनी मर्ज़ी के मालिक होते है। हर वह काम करना चाहेंगे जो उन्हें करना होता है पर जब माता पिता की मंज़ूरी नहीं मिलती तो हर वह काम एक गलती लगता है। चाहे बच्चे कितने ही स्वतंत्र हो जाए, माँ बाप की मंजूरी और उनका सहारा उनके बच्चो की हर फैसले की नींव रहता है।