International Women Day: महिलाओं के पास हैं ये कानूनी अधिकार, जानें इस दिन से जुड़ी 15 रोचक बातें
International Women Day: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समाज में समानता और अधिकार के साथ जीने का हक्क प्रदान करना है। भारत के कानून और संविधान में महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार मिले हैं।
International Women Day: ‘इंस्पायर इंक्लूजन’ थीम के साथ मनाया जाएगा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
International Women Day: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, हर साल 8 मार्च को विश्वभर में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समानता की मांग को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1908 के बाद हुई, जब अमेरिका में मजदूर आंदोलन हुआ। इस आंदोलन में करीब 15 हजार महिलाएं न्यूयॉर्क की सड़कों पर उतरकर अपने अधिकारों की मांग करने लगीं। महिलाओं की मांग थी कि उनकी नौकरी के घंटे यानी कामकाज की समय अवधि कम की जाए और वेतनमान में बढ़ोतरी हो। साथ ही इस आंदोलन में महिलाओं को मतदान का अधिकार देने की भी मांग की गई।
क्यों मनाते हैं?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समाज में समानता और अधिकार के साथ जीने का हक्क प्रदान करना है। भारत के कानून और संविधान में महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार मिले हैं। हालांकि बहुत सी भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी न होने पर वह उत्पीड़न, असमानता और असुरक्षित जीवन जीती हैं। आज इस लेख में हम आपको महिलर दिवस से जुड़े रोचक तथ्य व थीम के बारे में बताएंगे। साथ ही उनके अधिकरों के बारे में बात करेंगे।
महिला दिवस 2024 की थीम क्या है?
हर साल महिला दिवस एक खास थीम के तहत मनाया जाता है। इस साल 2024 में महिला दिवस की थीम ‘इंस्पायर इंक्लूजन’ है, जिसका अर्थ होता है एक ऐसी दुनिया, जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले।
महिला दिवस के बारे में 15 रोचक तथ्य
- हम सभी जानते हैं कि महिला दिवस, महिलाओं की समस्याओं पर जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। जहां इस दिन महिलाओं को घर और कार्यस्थल पर होने वाले भेदभाव, महिलाओं के प्रजनन संबंधी मुद्दों, महिलाओं के यौन शोषण और कई अन्य महिला केंद्रित मुद्दों के बारे में बात की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला दिवस के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य हैं जिसे अभी भी कई लोग नहीं जानते होंगे। तो आइए जानते हैं इनसे जुड़े तथ्यों के बारे में-
- पहली बार महिला दिवस 28 फरवरी 1909 को संयुक्त राज्य अमेरिका में उन 15,000 महिलाओं की याद में मनाया गया था, जिन्होंने कठोर कामकाजी परिस्थितियों, अधिक काम के घंटों और कम वेतन के खिलाफ न्यूयॉर्क में विरोध प्रदर्शन किया था।
- महिला अधिकारों की समर्थक और एक्टिविस्ट क्लारा जेटकिन सबसे पहले महिला दिवस को दुनिया भर में छुट्टी के रूप में मनाने का विचार लेकर आई थीं।
- महिला दिवस के मौके पर कुछ लोग बैंगनी, हरे और सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं। बैंगनी रंग सम्मान और न्याय का प्रतीक है। हरा रंग आशीर्वाद का और सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक है। हालांकि रंगों के पीछे का मुख्य विचार अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन रिपोर्टों से पता चलता है कि सोशल एंड पॉलिटिकल यूनियन (WSPU) ने 1908 में रंगों की अवधारणा बनाई थी।
- रूस सहित कई देशों में महिला दिवस को नेशनल हॉलीडे के रूप में मनाया जाता है। राज्य परिषद की सिफारिश के अनुसार, चीन में बहुत सी महिलाओं को 8 मार्च को आधे दिन की छुट्टी मिलती है।
- भारतीय संविधान में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी बराबर मौलिक अधिकार हैं। इसमें शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य सेवा का अधिकार, काम करने का अधिकार, राजनीति में भाग लेने का अधिकार और सम्मान के साथ जीने का अधिकार शामिल हैं।
- सर्बिया, अल्बानिया, उज्बेकिस्तान और मैसेडोनिया जैसे कुछ देशों में, मां के रूप में महिलाओं के महत्व को दर्शाने के लिए महिला दिवस को मातृ दिवस के साथ जोड़ा गया है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्च को महिला इतिहास माह के रूप में भी मनाया जाता है।
- इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक केवल 65% महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं, जबकि 70% पुरुष इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
- साल 2022 के जेंडर स्नैपशॉट रिपोर्ट के अनुसार, 51 देशों के एक रिसर्च से पता चलता है कि 38% महिलाओं ने व्यक्तिगत रूप से ऑनलाइन हिंसा का अनुभव किया था।
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक 75% नौकरियां एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों से संबंधित होंगी। फिर भी आज, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में केवल 22% पदों पर महिलाएं काबिज हैं।
- महिला दिवस का दूसरा नाम “महिला अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र दिवस” है।
- 1975 में, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अपनाया. और उन्होंने इस वर्ष को अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष भी घोषित किया।
- 1917 में रूस में महिला दिवस मनाने से उन्हें देश में वोट देने का अधिकार मिल गया।
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत 100 साल पहले बताई जाती है। पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 19 मार्च 1911 को मनाया गया था, जिसमें जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क से 1 मिलियन से अधिक लोगों ने भाग लिया था।
- गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, मर्लिन वोस सावंत नाम की महिला अब तक की सबसे अधिक आईक्यू वाली महिला है। उन्होंने 228 के अविश्वसनीय स्कोर के साथ रिकॉर्ड कायम किया है।
भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार
समानता का अधिकार
भारतीय संविधान महिलाओं को समानता और न्याय की सुरक्षा प्रदान करता है। धारा 14(1) ने सभी नागरिकों को समानता के अधिकार प्रदान किए हैं। भारतीय संविधान की धारा 14(1) के मुताबिक, भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संदर्भों में समानता का हक है। विभिन्न विचारों, धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या किसी अन्य आधार पर भेदभाव के खिलाफ हर व्यक्ति को यह अधिकार मिला है।
समर्थन का अधिकार
इस धारा के तहत, सरकार विशेष प्रवर्तनों के माध्यम से विभिन्न वर्गों की महिलाओं को समर्थन प्रदान कर सकती है ताकि वे समाज में बराबरी के साथ रह सकें।
समान वेतन का अधिकार
महिला और पुरुषों में समानता की बात होने के बावजूद मजदूरी से लेकर प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी तक में समान कार्य के लिए पुरुषों और महिलाओं के वेतन में अंतर पाया जाता है। कई क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मेहनताना मिलता है। संविधान महिलाओं को समान पारिश्रमिक का अधिकार देता है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
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पहचान गोपनीयता का अधिकार
महिलाओं के प्रति अपराध को लेकर कानून में महिलाओं को कुछ विशेषाधिकार मिले हैं। यौन शोषण मामले में पीड़िता को अपना नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार है। इसके साथ ही वह किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। पुलिस, मीडिया और अधिकारी को महिला की पहचान जाहिर करने का अधिकार नहीं है।
मातृत्व लाभ अधिकार
नौकरीपेशा महिलाओं को कानून मातृत्व संबंधी लाभ व सुविधा का अधिकार देता है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत, प्रसव के बाद महिला 6 महीने की छुट्टी ले सकती हैं और इस दौरान उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी। प्रसव के बाद 6 महीने का मातृत्व अवकाश पूरा करके महिला वापस काम पर लौट सकती है।
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