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हरियाली तीज में 16 श्रृंगार का महत्व: आखिर क्यों सजती – सवरती है महिलाएं

हरियाली तीज का पौराणिक महत्व: शिव और शक्ति का हुआ थे मिलन


हिन्दू धर्म के पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। भगवान शिव और माता पार्वती श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मिले थे। भारत में हरियाली तीज का विशेष महत्व माना जाता है। हरियाली तीज भारत के उत्तरी भाग में मनाई जाती है। हरियाली तीज विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और उत्तम संतान लिए मनाती है इस दिन महिलाएं अपने पति और बच्चों के लिए व्रत रखती है। शिव पुराण  बताया गया है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 108 जन्म लिए थे और कठोर तप किया था जिसके बाद उनको भगवान शिव 108 जन्म में पति रूप मिले। 108वें जन्म में भगवान शिव ने माँ पार्वती  को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था।

हरियाली तीज पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है?

शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस व्रत की सुहागन महिलाओं के लिए बड़ी मान्यता है। इस दिन सभी महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती है। इस दिन महिलाएं अपने घर की साफ-सफाई कर अपने घर को तोरण-मंडप से सजती है। और मिट्टी में गंगाजल मिलाकर उस मिट्टी से शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बनाते है और उसकी पूजा सकते है। महिलाएं पूरी विधि-विधान से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा पूरी रातभर करती है।

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हरियाली तीज में 16 श्रृंगार का महत्व

हिन्दू धर्म के अनुसार श्रृंगार सुहाग की निशानी  होती है। हरियाली तीज का व्रत भी महिलाएं सदा सुहागन रहने की कामना से करती है। हरियाली तीज के व्रत को अखंड सौभाग्य के लिए जाना जाता है। इस दिन महिलाएं मां पार्वती की पूजा करती है और उनको सुहाग की सामग्री अर्पित करती है। इस दिन महिलाएं मां पार्वती को 16 श्रृंगार की चीजें चढाती है। जिसमे वो मां पार्वती  को चूड़ी, कंगन, मेंहदी, सिंदूर, चुनरी, साड़ी आदि चढाती है। इस दिन महिलाएं मां पार्वती के साथ भगवान शिव की भी पूजा करती है।

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हरियाली तीज में मेहंदी का महत्व

हिन्दू पुराणों में हरियाली तीज के दिन मेहंदी लगाने से संबंधित कथा का वर्णन किया गया है। हिन्दू पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने मां पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेंहदी रचाई थी। जिससे देख कर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए थे। इसी लिए महिलाएं भी हरियाली तीज पर मेहंदी लगा कर अपने पति को प्रसन्न करने की कोशिश  करती है। साथ ही मेहंदी सुहाग की निशानी  होती है ये 16 श्रृंगार में आती है। इसलिए भी हरियाली तीज पर मेहंदी लगाई जाती है।

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