काम की बात

Prag Narain Mook Badhir Vidyalaya Samiti: 52 सालों से दिव्यांग बच्चों के लिए है आशियाना, दे रहा है उनके सपनों को पंख

Prag Narain Mook Badhir Vidyalaya Samiti: अलीगढ़ का यह विद्यालय है मूक – बधीर बच्चों के लिए वरदान, जहां करते हैं बच्चे अपने सपने पूरे


Highlights –

  • हाल ही में विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगता के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले 23 व्यक्तियों, संस्थाओं और हाईस्कूल व इंटर के 34 मेधावियों को दिव्यांगता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • प्राग नारायण मूक – बधिर विद्यालय समिति एक गैर सरकारी संगठन है।
  • विद्यालय का मुख्य उद्देश्य बच्चे जो बोल और सुन नहीं सकते उनको प्रारंभिक शिक्षा देने के साथ – साथ कई तरह के वोकेशनल ट्रेनिंग और जीवन के मूल्य सीखना भी है।

Prag Narain Mook Badhir Vidyalaya Samiti: हाल ही में विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगता के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले 23 व्यक्तियों, संस्थाओं और हाईस्कूल व इंटर के 34 मेधावियों को दिव्यांगता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन संस्थाओं में एक नाम प्राग नारायण मूक – बधीर विद्यालय समिति का है। प्राग नारायण को दिव्यांगों के लिए 52 सालों से बेहतरीन काम करने के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला। विश्व दिव्यांग दिवस के मौके पर विद्यालय में समारोह का भी आयोजन किया गया। बच्चों ने अपनी कला से दर्शकों का मन मोह लिया। बच्चों की कला के प्रति रुझान पूरे कार्यक्रम में सबसे मनोरम दृश्य रहा।

प्राग नारायण मूक – बधीर विद्यालय समिति एक गैर सरकारी संगठन है। यह विद्यालय उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में, सासनी गेट पर स्थित है। यह विद्यालय अलीगढ़ के आसपास रहने वाले मूक – बधीर बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। विद्यालय का मुख्य उद्देश्य बच्चे जो बोल और सुन नहीं सकते उनको प्रारंभिक शिक्षा देने के साथ – साथ कई तरह के वोकेशनल ट्रेनिंग और जीवन के मूल्य सिखाना भी है।

 1967 में स्थापित यह NGO ( गैर सरकारी संगठन ) आज 103 बच्चों का बसेरा है। यहां 103 मूक – बधीर बच्चे पढ़ने – लिखने के साथ – साथ स्कूल की तमाम सुविधाओं का फायदा उठा सकते हैं।

प्रदेश में 75 जिले हैं लेकिन इन 75 जिलों में मात्र 5 जिलों में दिव्यांगों के लिए ऐसे विद्यालय हैं जो उन्हें सुविधायें प्रदान कर रही हैं।

Prag Narain Mook Badhir Vidyalaya Samiti

प्राग नारायण मूक – बधीर विद्यालय 1967 में अलीगढ़ में स्थापित हुआ। 54 साल पुराना यह विद्यालय मूक – बधीर बच्चों के लिए सालों से मदद का हाथ आगे बढ़ा रहा है। विद्यालय में इन बच्चों की देखरेख करने के लिए दो कर्मचारी हैं। बच्चों की पढ़ाई – लिखाई के लिए 8 शिक्षक दिनभर तैनात रहते हैं और उन्हें  शिक्षा के साथ जीवन के मूल्यों के बारे में भी बताते हैं। 8 शिक्षकों में एक महिला शिक्षिका हैं जो बच्चों की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखती हैं।

     विद्यालय में पांच साल से 18 साल तक के बच्चे आते हैं और शिक्षा प्राप्त करते हैं। शहर के लोगों का विश्वास इस 54 साल पुराने संस्थान में इतना अटूट है कि दूर – दूर से माता – पिता अपने दिव्यांग बच्चों को यहां शिक्षित करने के उद्देश्य से आते हैं। विद्यालय में बच्चों के लिए किताबी ज्ञान के अलावा तकनीकी ज्ञान देने की भी सुविधा है। बच्चे सुबह स्कूल आते हैं और शाम को अपने – अपने घर चले जाते हैं। विद्यालय में बच्चों के आने – जाने का पूरा प्रतिबंध है। बच्चों को घर से लाने और घर पहुंचाने के लिए विद्यालय ने वाहन की व्यवस्था की है।

बच्चों को विद्यालय में पढ़ाई – लिखाई के साथ – साथ कई तरह की वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है। बच्चे पढने के साथ -साथ सिलाई, बुनाई, इम्ब्रोडरी और बुक बाइंडिंग जैसी कलाओं में भी खुद को निपुण बनाने में सक्षम हैं। ये सारी शिक्षा बच्चे बिना कोई रूपया दिये यहां प्राप्त करते हैं।

इतिहास

1967 में प्राग नारायण मूक बधीर विद्यालय समिति की शुरुआत बहुत साधारण तरीके से हुई जहां मूक – बधीर बच्चों को शिक्षित करने का प्रण लिया गया। यह विद्यालय उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थापित है। लिप – रीडिंग और बेहतर तरीके के कम्युनिकेशन के साथ मात्र 5 बच्चों के साथ विद्यालय की शुरुआत हुई। प्रारंभिक शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ – साथ बच्चों में जीवन जीने की कला सिखाने का आह्वान लिया गया जिसका पिछले 54 सालों से पालन किया जा रहा है।

Prag Narain Mook Badhir Vidyalaya Samiti

पुरस्कार से सम्मानित

विद्यालय के प्रिंसिपल को 2001 में भारत के राष्ट्रपति से राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले 1999 में विद्यालय को राज्य के गवर्नर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।

विद्यालय को बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट ऑफ उत्तर प्रदेश गवर्मेंट द्वारा मान्यता प्राप्त है। भारत सरकार द्वारा चयनित यह विद्यालय उत्तर प्रदेश के 5 मूक – बधीर विद्यालयों में से एक है।

प्राग नारायण मूक – बधीर विद्यालय सबूत है एक ऐसे जरिया का जो स्कूल के बच्चों को सपने देखना और उन्हें जीना सिखा रहा है।

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