भारत

जानें देश के किस हिस्से में कैसा है हड़ताल का हाल

आज पूरे देश में ट्रेड यूनियनों द्वारा हड़ताल की गई है। इससे पहले भी पिछले साल में 2 सितंबर को ट्रेड यूनियन ने हडताल की थी। इस हड़ताल में बैंकिग टेलीकॉम और कई अन्य क्षेत्रों के लाखों कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं।

यूनियन की मांग है कि सरकार श्रमिकों के बेहतर वेतन दे। इसके ट्रेड यूनियन ने  नई श्रमिक और निवेश नीतियों का विरोध किया है।

 

चलिए आपको बताते है कि देश के किस इलाके में हड़ताल का कैसा है असर

  • हड़ताल का सबसे ज्यादा असर केरल में देखने को मिल रहा है। जहां ट्रांसपोर्ट तक बंद किया गया है।
  • दिल्ली और मुंबई में बसें और मेट्रो सामान्य रुप से चल रही है। लेकिन ऑटो की हड़ताल होने क कारण मेट्रो में बहुत ज्यादा भीड़ है। यहां स्कूल कॉलेज, अस्पताल और निजी कंपनियां खुली हुई है।
  • बिहार में भी हड़ताल का खासा असर दिखा है, समस्तीपुर में ट्रेड यूनियन ने जगह-जगह जाम लगाया है।
  • फरीदाबाद में सुबर चार बजे से बसे अड्डे का गेट बंद कर दिया था। इसका असर निजी कंपनियों पर भी पड़ है।
  • दिल्ली से सटे गुडगांव में धारा 144 लगा दी गई है।

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देश के लगी हड़ताल

 

किस-किस क्षेत्र में है हड़ताल का असर

  • हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को हो रही है। दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल के डॉक्टर और नर्स अनिश्चितकाल की हड़ताल पर चले गए हैं।
  • हड़ताल का सबसे ज्यादा असर बिहार में दिख रहा है। जहां दरभंगा में सीपीआई के कार्यकर्ताओं ने दरभंगा रेलवे स्टेशन पर दरभंगा नई-दिल्ली बिहार संपर्क क्रांति को स्टेशन पर रोका है।  वहीं दूसरी ओर जहानाबाद में इंटरसिटी एक्सप्रेस को रोककर विरोध प्रदर्शन किया है।
  • हरियाणा रोडवेज ने चक्का जाम कर दिया है। रोहतक बस डिपो का गेट बंद कर सरकार के खिलाफ नारे बाजी  की है।

क्या-क्या सुविधा मिल सकती है आपको इस हड़ताल के दौरान

  • वैसे तो सभी सरकारी बैंक है लेकिन प्राइवेट बैंक और एटीएम इस दौरान खुले रहेंगे इसलिए अगर इंमरजेंसी में आपको पैसों की जरुरत हो तो निकाले जा सकते हैं।
  • देश में कई हिस्सों में ट्रॉसपोर्ट वालों की हड़ताल होने के बावजूद कहीं कहीं ऑटो चलते हुए आपको दिख ही जाएंगे।
  • दूध और पानी की सप्लाई को हड़ताल से दूर रखा गया है।
  • मेडिकल शॉप खुले रहेंगे। इससे यह फायदा हो सकत है कि अगर अस्पताल बंद भी है तो आप कम से कम दवा ले सकते हैं।
  • टैग- हड़ताल, ट्रेड यूनियन, श्रमिक, सरकार नई नीतियां
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