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Joshimath sinking: जोशीमठ में हुई तबाही, कहीं फटी जमीन..तो कहीं निकला पानी

Joshimath sinking:अब तक 603 घरों में आई दरारें सीएम धामी करेंगे निरीक्षण


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. जोशीमठ नगर में हो रहे भारी भूस्खलन के विरोध में बुधवार को स्थानीय लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया।

.  उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में अब तक इस शहर के 603 मकानों में दरारें आ चुकी हैं

.  100 से ज्यादा घर के हालात खतरनाक हो चुके हैं।

Joshimath sinking: उत्तराखंड का जोशीमठ धंस रहा है। उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में अब तक इस शहर के 603 मकानों में दरारें आ चुकी हैं. 100 से ज्यादा घर के हालात खतरनाक हो चुके हैं। घरों-सड़कों में दरारें पड़ने लगी। लोगों के अपने घरों को छोड़ने के बाद, अब जा कर सरकार हरकत में आई है। केंद्र सरकार ने जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना और उसके प्रभाव का ‘तेजी से अध्ययन’ करने के लिए एक पैनल का गठन किया है।

जल शक्ति मंत्रालय ने इस मामले में नोटिफिकेशन जारी किया है। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज जोशीमठ जाएंगे और प्रभावित लोगों से मिलेंगे। इसके साथ ही वो अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 6 जनवरी को देहरादून में सरकार के आपदा, सिंचाई और गृह विभाग के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ-साथ गढ़वाल मंडल आयुक्त और चमोली जिलाधिकारी के साथ स्थिति का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने वादा किया कि जोशीमठ में आबादी की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

जोशीमठ नगर में हो रहे भारी भूस्खलन के विरोध में बुधवार को स्थानीय लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। जल विद्युत परियोजना एनटीपीसी के खिलाफ लोगों ने जमकर नारेबाजी की।

जल्द से जल्द जोशीमठ में कार्यरत जल विद्युत परियोजना के कार्य को रोकने और जोशीमठ के मरम्मत के लिए उचित प्रयास करने की मांग की गई। अब तक 603 घरों में दरारें आ गई हैं। कई घर गिरने की कगार पर हैं। इसके चलते शुक्रवार को भी प्रशासन द्वारा कई परिवारों को इलाके से शिफ्ट किया गया है।  जिसके बाद यहां से अब तक 44 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है। इनके घर पूरी तरह से धराशायी होने की स्थिति में हो गए हैं।  दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और फर्श तक धंस चुके हैं।

दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं। जो लोग अपने घरों में रह रहे हैं, उन्हें पूरी-पूरी रात नींद नहीं आ रही है। जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं। प्रशासन की टीम भी लगातार ऐसे घरों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा रही है।

ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव के कारण ज्योर्तिमठ और भगवान बदरीनाथ के शीतकालीन प्रवास स्थल को भारी नुकसान पहुंचा है। आरोप लगाया कि सरकारों की अदूरदर्शिता और अनियोजित विकास कार्यों ने सनातन धर्म के शिखर स्थलों सहित पौराणिक नगरी जोशीमठ के लाखों नागरिकों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है।

उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से लगातार क्षेत्र में जमीन धंसने की शिकायतें मिल रही थी, लेकिन उन पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा सबके सामने है।

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बता दें कि जोशीमठ में एशिया की सबसे लंबी रोपवे मौजूद है। जिसे लेकर सैलानियों में काफी क्रेज रहता है लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए प्रशासन ने रोपवे सेवा बंद कर दी है। उसके पीछे की वजह है कि रोपवे के टावर नंबर एक के पास जमीन धंस गई है। उत्तराखंड  में पवित्र बद्रीनाथ धाम से जोशीमठ की दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है।

जिससे प्रशासन और सरकार और अलर्ट है। 3000 से ज्यादा लोगों के रिहायश पर खतरा पैदा हो गया। कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है।

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