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Indian Movies Banned by Censor Board :जब ‘महिला केंद्रित’ फिल्म का कारण बताकर सेंसर बोर्ड ने लगाए इन 5 फिल्मों पर लगाम

Indian Movies Banned by Censor Board : वो 5 फिल्में जिनके दमदार महिला किरदारों को हजम नहीं कर पाया सेंसर बोर्ड


Highlights

  • एक नजर उन महिला प्रधान और महिलाओं के दमदार किरदारों से सजी फिल्मों पर
  • जिनमें महिलाओं के दमदार अंदाज को बर्दाश्त न कर पाने के चलते सेंसर बोर्ड ने की उनमें बदलाव की सिफारिश

Indian Movies Banned by Censor Board: कहते हैं सिनेमा समाज का चेहरा है, समाज का आईना है। सिनेमा को समाज का प्रतिबिंब भी कहा जाता है। कहा जाता है सिनेमा और समाज दोनों साथ – साथ चलते हैं।तो यह भी साफ है कि जो चीजें फिल्मों में गलत और अस्वीकार्य माना जाता है उसे समाज भी अपनाने में सहमत नहीं होगा, अस्वीकारता होगा और सिनेमा का यह सही गलत तय करता है हमारा सेंसर बोर्ड। कौन सी फिल्में पर्दे पर दिखानी चाहिए, कौन से किरदार को दर्शकों के बीच जाने चाहिए।

कितनी अजीब बात है अगर सेंसर बोर्ड के सदस्यों को लगता है कि किसी फिल्म में महिला का किरदार कमजोर है या उसे मारते, पीटते, प्रताड़ित होते या किसी की शारीरिक भूख का शिकार होते हुए दिखाया गया है, तो उसे इससे कोई दिक्कत नहीं होती फिल्म को पास कर दिया जाता है। लेकिन अगर महिला किरदार दमदार होता है, अपने हक के लिए खड़ा होता दिखाया जाता है तो शायद सेंसर बोर्ड को ऐसी महिलाएं पसंद नहीं आतीं. और उन फिल्मों पर बैन लगा दिया जाता है..बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में हैं जो इस कैटेगरी में आती हैं।

एक नजर उन महिला प्रधान और महिलाओं के दमदार किरदारों से सजी फिल्मों पर जिनमें महिलाओं के दमदार अंदाज को बर्दाश्त न कर पाने के चलते सेंसर बोर्ड ने की उनमें बदलाव की सिफारिश

एंग्री इंडियन गॉडेसेज़

2015 में बनी इस फिल्म की कहानी कुछ युवतियों के इर्द गिर्द घूमती है.जब बात युवतियों की आती है तो समाज से लेकर सेंसर बोर्ड तक चौकन्ना हो जाते हैं। फिल्म में महिलाओं को खुलकर एंजॉय करता दिखाया गया है। फिलमें में महिलाओं को अपनी ज़िंदगी के फैसले लेते दिखाया गया है। लेकिन सेंसर बोर्ड को महिलाओं की इतनी ओपननेस शायद पसंद नहीं आई और अपनी मनमानी चलाते हुए सेंसर बोर्ड ने फिल्म में 16 कट लगाने का ऑर्डर दिया।

इसका निर्देशन किया है पैन नलिन ने और इसमें एंग्री इंडियन गॉडेसिज़ हैं सैरा जेन डाएस, तनिष्ठा चैटर्जी, अनुष्का मनचंदा, संध्या मृदुल, अमृत मघेरा, राजश्री देशपांडे, पवलीन गुजराल और साथ में हैं आदिल हुसैन।फिल्म मकी कहानी की बात करें तो ये फ़िल्म भारत में महिलाओं की व्यथा दर्शाती है, फ़िल्म के किरदारों के माध्यं से दिखाया गया है कि उन्हें समाज में किस किस तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और समाज की उस पर क्या प्रतिक्रिया रहती है। यही बात सेंसर बोर्ड को रास नहीं आई और दर्शकों तक फिल्म के 16 सीन्स आने ही नहीं दिए।

लिपस्टिक अंडर माई बुर्का

इस फिल्म में अपनी आजादी तलाशती चार औरतों की कहानी बताई गई है। आपको बता दें कि इस कहानी को सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया। आप जब इस फिल्म के बैन के कारण को जानेंगे तो चौंक जाएंगे। सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर रोक लगाते हुए इसके बारे में कहा था कि क्योंकि यह फिल्म ‘महिला केंद्रित’ है. यह बहुत ताज्जूब की बात है कि इसे महिला केंद्रित जैसे शब्दों का हवाला देकर दर्शकों तक आने से रोका गया।

आगे सेंसर बोर्ड कहता है फिल्म में महिलाओँ की फैंटेसीज़ के बारे में दिखाया गया है। इसमें सेक्सुअल सीन हैं, गालियां हैं, पोर्नोग्राफी वीडियो है. इसलिए इस फिल्म को सर्टिफिकेशन के लिए अस्वीकृत किया जाता है.अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी इस फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा,रत्ना पाठक, आहाना कुमरा,प्लेबिता बोरठाकुर मुख्य भूमिका में हैं।

अलंकृता श्रीवास्तवा ने निर्देशित किया और लिखा है | फिल्म में एक्ट्रेस कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक, आहना कुमरा, प्लेबिता बोरठाकुर मुख्य भूमिका में हैं |अलंकृता श्रीवास्तव ने निर्देशित किया और लिखा है | फिल्म में एक्ट्रेस कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक, आहना कुमरा, प्लेबिता बोरठाकुर मुख्य भूमिका में हैं |

अनफ्रीडम

साल 2015 में आई यह फिल्म समलैंगिकता के मुद्दे को उठाती है. जिसमें दो युवतियों के बीच संबंध दिखाया गया है। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को पास नहीं किया। यहाँ तक की मामले को अपीलिएट ट्राइब्यूनल के पास भी ले जाया गया, पर इन सबके बावजूद यह फिल्‍म भारत में बैन कर दी गई। अमित कुमार के निर्देशन में बनी यह फिल्म में आदिल हुसैन और विक्टर बैनर्जी के इर्द – गिर्द कहानी को दर्शाता है।

 

मार्गरीटा, विद अ स्ट्रॉ

2015 में एक और महिला प्रधान फिल्म सेंसर बोर्ड को पसंद नहीं आई. फिल्म का नाम था मार्गरीटा, विद अ स्ट्रॉ. फिल्म में लैला नाम की एक सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित लड़की की कहानी है. लैला चल नहीं सकती, वह व्हीलचेयर पर रहती है. उसे बोलने में भी परेशानी होती है. लेकिन दिक्कत यह है कि वह अपनी जिंदगी को और सामान्य लड़कियों की तरह जीना चाहती है.

सेंसर ने इस फिल्म के एक सीन पर बहुत आपत्ति जताई,‍ जिसमें लैला के किरदार को शौच के लिए कोई दूसरा लेकर जाता है. इस पर फिल्म डायरेक्टर ने कहा था कि वह सीन किसी को लुभाने के लिए नहीं वास्तविकता बताने के लिए है. इस फिल्मी को रिवाइजिंग कमेटी के पास ले जाना पड़ा था और फिर यह पास हुई थी.

पार्च्ड

फिल्मों में महिलाओं की मित्रता को तो कई बार दिखाया गया है।लेकिन जिस तरह से इस फिल्म में तीन सहेलियों की कहानी को दमदार तरीके सा दर्शाया गया है वो काबिल ए तारीफ है।

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मर्दों की दुनिया में औरत किस तरह सहनशील बनी रहती है इस बात के साथ उसके अरमानों को भी पंख दिए गए हैं। इस फिल्म में औरत और मर्द के संबंध को भी एक नये तरीके से पेश किया गया. लेकिन महिलाओं के इस दमदार और चुनौतीपूर्ण अवतार को सेंसर ने मंजूरी नहीं दी.

एक नजर उन महिला प्रधान और महिलाओं के दमदार किरदारों से सजी फिल्मों पर जिनमें महिलाओं के दमदार अंदाज को बर्दाश्त न कर पाने के चलते सेंसर बोर्ड ने की उनमें बदलाव की सिफारिश

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