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#SavetheNextVictim:किरण बेदी के इंडियन विज़न संस्था को हुए 25 साल पूरे 

25 सालो में बदल गया कैदियों और उनके परिवार का जीवन


जब कभी नारी सशक्तिकरण की बात होती है  तब भारत की पहली आईपीएस ऑफिसर डॉ किरण बेदी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। उन्होंने हमेशा से ही सच  के लिए लड़ाई लड़ी और कई लोगो के जीवन को नई दिशा दी। जी हाँ, आज ही के दिन डॉ किरण को “Ramon Magsaysay Award” से नवाज़ा गया था और इसी दिन डॉ किरण बेदी ने 1 सितम्बर 1996 को “इंडिया विज़न फाउंडेशन” की स्थापना की थी। जिसमे रह रहे सभी केदियो के जीवन को एक नयी दिशा दी गयी।  

आपको बता दे कि 1 सितम्बर  को  इस संस्था को 25 साल पूरे हो चुके है।  इस संस्था  के 25 साल पूरे होने पर सुब्रतो पार्क में स्थित एयर फाॅर्स स्टेडियम में एक इवेंट का आयोजन किया गया जिसकी शुरुआत फाउंडर डॉ किरण बेदी,गेस्ट-मिस्टर वी.एस.के कौमदि और डॉ आर.जी आनंद ने अगरबत्ती जलाकर की।  इस ख़ास मौके कई सारे प्रोग्राम भी हुए. 

25 सालो में बदल गया कैदियों और उनके परिवार का जीवन

इंडिया विज़न संस्था यूपी, महाराष्ट्र और दिल्ली एनसीआर के अन्तर्गत सभी जेलों में रह रहे केदियो को स्किल्स ट्रैंनिंग देता है ताकि जब वो रिहा हो तो बिना समाज के डर और शर्म से अपने जीवन को एक नई दिशा दे और उसे नए सिरे से शुरू करे।  साथ ही इस संस्था के स्थापित होने के बाद 3s मॉडल की भी शुरुआत की गयी थी – शिक्षा ,स्किल और संस्कार। इन तीनो के तहत सभी केदियो को ट्रैंनिंग दी जाती है।   जिसमे म्यूजिक , योग  जैसे प्रोग्राम रखे  गए है।  इन सभी प्रोग्राम  को एक नाम दिया गया है जैसे जो कैदी  म्यूजिक में रूचि रखते है उनको म्यूजिक सिखाने के लिए सोनी  एंटरटेनमेंट द्वारा धुन प्रोग्राम लांच किया गया। इस प्रोग्राम के तहत कैदी म्यूजिक सीखते है और उनके लिए कई  म्यूजिक प्रतियोगिता आयोजित किये जाते है।  

इसके अलावा जेल में जो कैदी अपनी सज़ा काट रहे है इंडिया विज़न संस्था ने उनके बच्चो की पढ़ाई का भी सारा खर्चा उठाते है। जो महिलाएं कैदी है जिनके बच्चे छोटे है और उनके साथ  जेल में रह रहे है उनके लिए जेल के अंदर ही क्रेच खोले गए है. जहाँ उन बच्चो का ख्याल भी रखा जाता है , पढ़ाया जाता है और उन्हें खेल- खेल में ट्रैंनिंग भी दी जाती है।  

इस संस्था ने कई स्कूलों के साथ टाईअप कर रखा है जिसमे इन बच्चो को आगे की पढ़ाई के लिए भेजा जाता है। जिसमे से कुछ बच्चो ने बड़ा मुकाम हासिल भी किया है। उनमें से आज कोई टीचर है तो कोई बैंकिंग सेक्टर में जॉब कर रहा है। इस संस्था ने कई  सारे कैदियों और उनके परिवार का जीवन बदला है,  उन्हें सर उठा कर चलने के लिए  हिम्मत दी।  

जब छोटे बच्चो को जेल में देख कर परेशान हुई थी डॉ किरण बेदी 

इंडियन विज़न संस्था के 25 साल पूरे होने पर फाउंडर डॉ किरण बेदी ने इस संस्था के 25 सालों  के सफर का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कैसे जब वो कैदियों से मिलने तिहाड़ जेल पहुची थी। वहां उन कैदी महिलाओं के साथ छोटे बच्चो को देख कर परेशां हो गयी थी.जिन बच्चो  को स्कूल जाकर पढ़ना चाहिए  था वो अपनी माँ के साथ जेल में सज़ा काट रहे थे। इसलिए उन्होंने उन बच्चो के लिए तिहाड़ जेल की एक छोटी जगह से इस प्ले स्कूल खोला और धीरे – धीरे यह एक बड़ी संस्था में बदल दिया ।  

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