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दो लड़कियों ने इंजीनियर का सपना छोड़ शुरू किया अपना स्टार्टअप, अब गरीब महिलाओं को देंगे सस्ते पैड

सुहानी मोहन और कार्तिक मेहता ने नौकरी छोड़ शुरू किया अपना स्टार्ट-अप

सुहानी मोहन मुंबई की मूल निवासी है। आईआईटी से इंजीनियर करने के बाद सुहानी मोहन ने एक अच्छी कंपनी में नौकरी करनी शुरू कर दी थी। अचानक सुहानी ने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया और अपना नया स्टार्ट-अप शुरू किया। मुंबई में रहने वाली सुहानी ने कोरोना महामारी के बिच स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अपनी कंपनी शुरू कर दी। उन्होंने ग्रामीण लड़कियों और महिलाओं को सस्ते पैड्स बाटने शुरू कर दिए। सुहानी मोहन के इस काम में उनका साथ कार्तिक मेहता दे रही है। कार्तिक मेहता सीधे महिलाओं और लड़कियों से संपर्क कर जागरुकता फैलाने का काम कर रही है। तो चलिए हम आपको बताते है कैसे शुरू किया सुहानी मोहन और कार्तिक मेहता ने अपना स्टार्ट-अप।

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कैसे हुई सुहानी मोहन के स्टार्ट-अप की शुरुआत

सुहानी मोहन ने मुंबई के आईआईटी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने डचेज बैंक में वांलटियर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। वहा पर काम करते हुए सुहानी को पता चला कि भारत में पीरियड्स के दौरान स्वच्छता की क्या स्थिति है। काम करते हुए सुहानी को पता चला की भारत में 70 फीसदी महिलाओँ को प्रजनन से जुड़ी संक्रमण की बीमारियां है। जिसका कारण ज्यादातर पीरियड्स के समय साफ सफाई न रखना है। यही से सुहानी के मन में अपना स्टार्ट-अप शुरू करने का विचार आया। उन्होंने सोचा क्यों न गरीब और ग्रामीण महिलाओं को सस्ते पैड बाटे जाये। सुहानी ने सरल स्टार्ट-अप शुरू किया।

कितने का पड़ता है एक पैड

सुहानी मोहन का कहना है कि सरल स्टार्ट-अप के तहत उनको एक पैड करीब सात रुपये का पड़ता है। जिसे वो गरीब और ग्रामीण महिलाओं को बेचती है। सुहानी कहती है कि उन्होंने इस पर काफी रिसर्च की। रिसर्च के बाद ही उन्होने डिस्ट्रिब्यूशन की लागत को कम किया है। क्योंकि वो सस्ते के चक्कर में कभी भी क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहती। पैड बेचने के साथ ही सुहानी महिलाओं में जागरुकता भी फैलाती है।

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