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स्कूलों की तानाशाही, एफडी तोड़ बच्चों की फीस भरने को मजबूर है अभिभावक 

निजी स्कूलों ने दी अभिभावक को चेतावनी, फीस न भरने पर परीक्षाओं में नहीं बैठ पाएंगे बच्चे


मिलेनियम सिटी में अपने बच्चों को प्राइवेट और बड़े स्कूलों में पढ़ाना लोगों का सपना होता है. लोगों को लगता है है कि जितने बड़े स्कूल में उनका बच्चा पढ़ेगा उतनी ज्यादा उनकी शान बढ़ेगी. हर साल अभिभावक इन स्कूलों में लाखो रुपये की फीस भरते है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण सभी लोगों का बजट बिगड़ा गया है. कई अभिभावकों की नौकरी चली गई तो कई की सैलरी में कटौती कर दी गई . आलम यह अब यह है कि अभिभावक बच्चों की स्कूल भरने के लिए अपनी ज्वेलरी बेच रहे हैं और एफडी तुड़वा रहे हैं. इसके पीछे कारण यह है कि इस बार प्राइवेट और बड़े स्कूल अभिभावकों पर फीस का दबाव बनाने के लिए अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं और बोर्ड की परीक्षाओं का हवाला दे रहे हैं. यहाँ तक की स्कूलों ने अभिभावकों को फीस न भरने पर निजी स्कूल परीक्षाओं में बच्चों को न बिठाने की चेतावनी भी दे दी है.

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स्कूल की फीस भरने के बाद ही अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में बैठ पाएंगे स्टूडेंट्स 

हाल ही में सोशल मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार गुरुग्राम अभिभावक संगठन के सदस्य हिमांशु शर्मा ने बताया कि बहुत से अभिभावक फीस न भर पाने के कारण इतना परेशान हो चुके है कि अब उन्हें इसके लिए अपनी एफडी तुड़वानी पड़ी.  यहाँ तक की कुछ अभिभावकों ने इसके लिए अपनी ज्वेलरी भी गिरवी रखी है. अभिभावक बच्चे का नाम स्कूल से न कटे इसके लिए अब तक लाखों रुपये स्कूल में भर चुके है. अभिभावकों का कहना है कि अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. इसलिए मजबूरी में उन्होंने अपनी एफडी तुड़वाई और ज्वेलरी भी गिरवी रखी है.

40 हजार से ज्यादा छात्रों ने छोड़े निजी स्कूल

जुलाई तक हरियाणा में 43,293 छात्र निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले चुके है. जिसमें से 2453 स्कूल गुरुग्राम से हैं. और 2074 छात्र फरीदाबाद के निजी स्कूलों को छोड़ चुके हैं. अभी यह आंकड़ा और भी बढ़ता जा रहा है. निदेशालय जल्द ही सोशल मीडिया पर दूसरी रिपोर्ट भी पेश करेगा. गुरुग्राम में बहुत बड़ी संख्या में ऐसे अभिभावकों भी है, जो अपने बच्चों का स्कूल छुड़वा कर घर पर बिठा चुके हैं.

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