बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़ों के बीच पीएम के जन्मदिन पर मनाया गया राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस
यूपी के युवाओं में संविदा को लेकर गुस्सा
पिछले साल केंद्रीय संख्यिकी कार्यालय(सीएसओ) की एक रिपोर्ट ने अचानक लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. जो सरकार सत्ता में रोजगार दिलाने का वायदा करके आई थी . उसके कार्यकाल में 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी का आंकड़ा पेश किया गया. इसके बाद लगातार बेरोजगारी बढ़ती गई. कोरोना के दौर में सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 2.5 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियों गंवाई है. इस पर सरकार का कहना है कि यह एक्ट ऑफ गॉड है. महामारी पर किसी का जोर नहीं है.
बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़ों के बीच युवाओं का गुस्सा सरकार के प्रति फूटा है. लगातार होता निजीकरण और परीक्षाओं मे देरी के कारण युवाओं में निराशा का माहौल बढ़ता जा है. जिसने अब राजनीतिक रुप धारण कर लिया. इसी बीच देश के विपक्षी पार्टियों ने 17 सितंबर को बेरोजगारी दिवस के तौर पर मनाने का आह्वान किया है. जिसमें मुख्य रुप से सपा, कांग्रेस, लेफ्ट की स्टूडेंट्स विंग ने हिस्सा लिया.
प्रत्येक पार्टी अपने-अपने स्तर पर गुस्से को जाहिर कर रही है. 16 सितंबर को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने साईकिल यात्रा को हरी झंड़ी दिखाकर दिल्ली के लिए रवाना किया. यह यात्रा लखऊ से दिल्ली तक है. जिसमें मुख्य रुप से युवाओं ने हिस्सा लिया है. वही सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार बेरोजगारी के विषय पर लगातार ट्विटर पर लिखते हैं. राहुल गांधी ने हिंदुस्तान अखबार की एक एक्सक्लूसिव खबर की कटिंग ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा है “ यही कारण है कि देश का युवा आज #राष्ट्रीय-बेरोजगारी-दिवस मनाने पर मजबूर है. रोजगार सम्मान है. सरकार कब तक यह सम्मान देने से पीछे हटेगी?
और पढ़ें: जानें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का नवजात मृत्युदर पर कितना असर पड़ा
This is the only development India has seen since 2014 pic.twitter.com/9Wys3TcL2M
— WB Youth Congress (@IYCWestBengal) September 17, 2020
पीएम के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर बेरोजगारी दिवस ट्रेंड कर रहा है ट्विटर पर\
#राष्ट्रीय-बेरोजगारी-दिवस लगातार टॉप ट्रेंड पर है. यहां युवाओं ने मीम और गुस्से के साथ अपनी पीड़ा को प्रस्तुत किया है. ट्विटर पर कहीं वकील पकौड़े छानते नजर आएं तो कहीं पीएचडी वाले चाय बनाते हुए. हर कोई अपने-अपने हिसाब प्रदर्शन कर रहा है.
सबसे अधिक गुस्सा यूपी के युवाओं में देखने को मिला है. यहां पिछले सप्ताह योगी सरकार ने ऐलान किया है कि अब सरकारी नौकरियों को संविदा के अनुसार दिया जाएगा. जहां प्रत्येक पांच साल में कर्मचारी के काम का आकलन किया जाएगा और उसके बाद उसे आगे नौकरी पर रखा जाएगा. इस पर युवाओं का कहना है कि इस तरह लोग गुलाम बन जाएंगे वह कोई भी काम स्वतंत्रता से नही कर पाएंगे. इतना ही नहीं इस पर सोशल मीडिया पर लगातार युवा यह कह रहे हैं कि इस हिसाब से प्रत्यके साल सरकार का भी आकलन होना चाहिए ताकि अगर जनता को उसका काम पसंद न आएं तो उसे बाहर का रास्ता दिखा सकें
आपको बता दें पिछले कुछ दिनों से बेरोजगारी को लेकर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इससे पहले भी देश के युवाओं ने सरकार को सरकार की भाषा में ही ताली थाली और बाद में दीया बत्ती के साथ विरोध किया था.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com