हरिवंश राय बच्चन की वो कवितायें जिसे पढ़ कर हो जायेगे आप inspire
आज है हरिवंश राय बच्चन की 112वी जंयती
HAPPY BIRTHDAY HARIWANSH RAI BACCHAN
हरिवंश राय बच्चन का जन्म अल्लाहाबाद के कायस्थ परिवार में हुआ था। बचपन में हरिवंश जी को बच्चन बुलाया जाता था और आगे चल कर वो इसी नाम से मशहूर भी हुए। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिल्हा परिषद स्कूल से पूरी की थी और अपने परिवार की प्रथा को ही आगे चालू रखते हुए कायस्थ पाठशाला में उर्दू की शिक्षा ली थी। बाद में अल्लाहाबाद विद्यापीठ और बनारस हिन्दू विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूरी की। इन सब के चलते हुए वे महात्मा गाँधी के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल भी हुए थे। अल्लाहाबाद विद्यालय से उन्हें 42 मेम्बरों की सूचि में “भूतकाल का गर्वि छात्र” का सम्मान दिया गया था।
बाद में उन्हें एहसास हुआ की वो जो कर रहे है वो सही नहीं है इसलिए वे वापिस विद्यापीठ चले गए। अल्लाहाबाद विद्यापीठ के इंग्लिश विभाग में रहते हुए इंग्लिश पढाई और बाद में 2 साल सेंट कैथरीन कॉलेज, कैम्ब्रिज में बिताये।
बच्चन जी की पहली पत्नी का नाम श्यामा देवी था। इस समय बच्चन जी सिर्फ 19 वर्ष के थे और उनकी पत्नी की उम्र सिर्फ 14 वर्ष थी। श्यामा जी को 24 वर्ष की आयु में टीबी होने के कारण 1936 में उनका देहांत हो गया। पांच साल के बाद उनका दूसरा विवाह हुआ। उनकी दूसरी पत्नी का नाम तेजी था। इन दोनों की दो संतान थी एक अमिताभ बच्चन और अजिताभ बच्चन। तेजी बच्चन को भारत की प्रधानमंत्री श्री इंदिरा गाँधी की करीबी दोस्त मानी जाती थी। चलिए आपको अब उनकी कुछ खास कविताओं से रूभारूह करते है:
Read more: How to get Chiseled Jawline?
1. मधुशाला:
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।
2. अग्निपथ:
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
3. भगवन:
मुसलमान है हिन्दू है, दो एक मगर उनका प्याला,
एक मगर उनका मदिरालय एक मगर उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला।
4. रोके ना तू:
धरा हिला, गगन गुँजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा–भुजा, फड़क–फड़क
रक्त में धड़क–धड़क
5. क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूँ?
मैं दुखी जब-जब हुआ
संवेदना तुमने दिखाई,
मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा
रीती दोनों ने निभाई
किन्तु इस आभार का अब
हो उठा है बोझ भारी
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूँ?
Have a news story, an interesting write-up or simply a suggestion? Write to us at info@oneworldnews.com