सेहत

Flossing Teeth: जाने क्या होता है फ्लॉसिंग,कैसे ये आपको दाँतों को बना देगा मजबूत

Flossing Teeth: क्या ब्रश करने से ज्यादा जरूरी है फ्लॉसिंग?


Highlights:

  • क्या होता है फ्लॉसिंग?
  • दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में होता है मददगार
  • दांतों से जुडी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में मददगार
  • जाने क्यों करनी चाहिए फ्लॉसिंग
  • फ्लॉसिंग न करने से मसूड़ों को नुकसान

Flossing Teeth: दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिए फ्लॉसिंग और ब्रश दोनों ही चीजे बहुत ज्यादा जरूरी होती है। रोजाना ब्रश करने से पहले आपको दिन में एक बार अपने दांतों को फ्लॉस करना चाहिए। आज तक के एक आर्टिकल के अनुसार ‘आस्क द डेंटिस्ट’ नाम से चैनल चलाने वाले डॉ. मार्क बुरहेन का कहना है कि यदि आपका मुंह हेल्दी नहीं है तो आप भी हेल्दी नहीं है। फ्लॉसिंग आपके दांतों और मसूड़ों के साथ साथ आपके मुंह से जुड़ी कई और खतरनाक बीमारियां भी कम हो जाती है।

लेकिन क्या आपको पता है नायलॉन का यह पतला सा धागा ना केवल आपके दांतों की सफाई करता है, बल्कि साथ ही साथ यह आपके मसूड़ों को कई और बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। फ्लॉसिंग हम में से कई लोगों का दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन कई लोग ऐसे भी है जिन्हे ये नहीं पता की फ्लॉसिंग होती क्या है तो चलिए फ्लॉसिंग के बारे में बाकि चीजे जाने से पहले जानते है फ्लॉसिंग होता क्या है।

क्या होता है फ्लॉसिंग?

फ्लॉसिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें हम किसी पतले धागे के जरिए अपने दांतों की साफई करते है। हमारे दांतों के लिए फ्लॉसिंग उतनी ही जरूरी होती है जितना ब्रश करना। क्योंकि ये हमारे दांतों के बीच ऐसी जगहों पर पहुंचकर सफाई करता है, जिन जगहों पर हमारा ब्रश नहीं पहुंच पाता। यह हमारे दांतों के बीच फसे भोजन के कणों को निकालता है। अगर आप फ्लॉसिंग नहीं करते तो आपके दांतों में कैविटी बनने का खतरा होता है।

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जाने क्यों करनी चाहिए फ्लॉसिंग

हमारे ब्रश करने के चार घंटे बाद ही हमारे दांतों में प्लॉक बनना शुरू हो जाता है और जब इस प्लॉक को निकाला जाता है तो वह कड़ा होकर टार्टर में बदल जाता है। फिर टार्टर को डेंटिस्ट या हाइजीनिस्ट के द्वारा ही हटाया जाता है। इस लिए डॉक्टर भी हमे नियमित रूप से फ्लॉसिंग करने की सलाह देते है।

फ्लॉसिंग न करने से मसूड़ों को नुकसान

नियमिल रूप से फ्लॉसिंग न करने में हमारे मुंह में एक बहुत ही खतरनाक बैक्टीरिया टार्टर का निर्माण होता है और साथ ही विषाक्त पदार्थों का उत्पादन भी शुरू हो जाता है। उसके बाद ये विषाक्त पदार्थ हमारे मसूड़ों में उत्तेजना, जलन, सूजन पैदा करने लगते है जिसे जिन्जवाइटिस कहते हैं। जिन्जवाइटिस, पेरीडोन्टाइटिस को जन्म देता हैं। यह विषाक्त पदार्थ दांतों को सहारा देने वाली हड्डियों पर आक्रमण करते हैं और उससे वह हड्डी खराब हो जाती है, और धीरे धीरे हमारे दांत हिलने लगते हैं, यहां तक की कई बार तो दांत गिरने भी लगते हैं।

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दांतों से जुडी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में मददगार

आपको बता दें कि हमारे दांतों का हमारे दिल की सेहत से सीधा संबंध होता है। हमारे दांतों के खराब स्‍वास्‍थ्‍य और जिन्जवाइटिस के कारण हमे हृदय रोग भी हो सकता है। मसूड़ों और मुंह में सूजन होने पर हमारे पूरे शरीर में बैक्टीरिया फैलने का खतरा होता है। इस लिए अगर आप नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉसिंग करते है तो आपके दांत साफ रहते हैं।

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