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जाने कौन है शहीद मेजर मोहित शर्मा जिन पर बनेगी बायोपिक

जाने अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मेजर मोहित शर्मा की फिल्म के बारे में


क्या आपको पता है अशोक चक्र से सम्मानित स्वर्गीय शहीद मेजर मोहित शर्मा के जीवन पर एक बायोपिक बनने वाली है. लेकिन अभी तक इस बायोपिक से जुडी कोई भी बात पूरी तरफ साफ़ नहीं हुई है. यानि की अभी तक इस फिल्म में काम करने वाले कलाकारों, फिल्म का नाम और अन्य डिटेल्स की ऑफिशियल घोषणा नहीं हुई है.  लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शहीद मेजर मोहित शर्मा के ऊपर बने वाली फिल्म की शूटिंग सितंबर से शुरू कर दी जाएगी और साल 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर इस फिल्म को रिलीज किए जाने की उम्मीद है. अगर हम मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अभी इस बायोपिक को अस्थायी रूप से ‘इफ्तिखार’ टाइटल दिया गया है. अगर हम फिल्म की कहानी की बात करे तो यह फिल्म शिव अरूर और राहुल सिंह की किताब, इंडियाज मोस्ट फियरलेस 2: मोर मिलिट्री स्टोरीज ऑफ अनइमेजेबल करेज एंड सैक्रिफाइस के पहले चैप्टर पर आधारित है.

 

जाने कौन है मेजर मोहित शर्मा?

अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मेजर मोहित शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1978 को हरियाणा के रोहतक में हुआ था. मोहित शर्मा अपना करियर इंजीनियरिंग में बनाना चाहते थे. लेकिन 1995 में मेजर मोहित शर्मा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर NDA में भर्ती हो गए. NDA में अकादमिक अध्ययन पूरा करने के बाद उन्होंने1998 में भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश लिया था.  इतना ही नहीं इसके बाद मोहित शर्मा को 11 दिसंबर 1999 को लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया. सैन्य सेवा के 3 साल के बाद उन्हें पैरा स्पेशल फोर्सेज के लिए चुना गया था और उसके बाद साल 2003 में मोहित शर्मा एक प्रशिक्षित पैरा कमांडो बने.

 

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जाने मेजर मोहित शर्मा कैसे बने ‘इफ्तिखार भट्ट’

 

मेजर मोहित शर्मा ने शोपियां में अपने ऑपरेशन को अंजाम दिया था। अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सबसे पहले मेजर मोहित शर्मा ने अपने दाढ़ी-मूंछ रखी और अपना नाम ‘इफ्तिखार भट्ट’ रख लिया। उसके बाद मेजर मोहित शर्मा अपने इस लुक और अपने नाम के जरिए आतंकी अबू तोरारा और अबू सबजार के संपर्क में आए। उसके बाद मेजर मोहित शर्मा ने हिजबुल आतंकियों को विश्वास दिलाया कि भारतीय सेना ने उनके भाई को 2001 में मार डाला था। जिसका बदला  वो अभी भारतीय सेना से लेना चाहते है। उसके बाद मेजर मोहित शर्मा ने आतंकियों का विश्वास जीतकर उन्हीं के घर में आघात पहुंचाया था।

 

अपने साथियों को बचाते-बचाते हुए थे शहीद

मेजर मोहित शर्मा जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर के हफरुदा जंगल में 21 मार्च साल 2009 को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शामिल हुए थे। इस मुठभेड़ में मेजर मोहित शर्मा ने चार आतंकवादियों को मार गिराया था। इस मुठभेड़ के दौरान मेजर मोहित शर्मा ने अपने दो साथियों को भी बचाया, लेकिन गोली लगने के कारण खुद शहीद हो गए थे। जिसके बाद उनके इस बलिदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया था।

 

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