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ईद-उल-फितर के चांद का आज हो सकता है दीदार, अब किस दिन मनाई जायेगी ईद 

क्यों और कैसे मनाई जाती है ईद-उल-फितर


ईद-उल-फितर का त्यौहार रमजान के पवित्र महीने के बाद आता है। रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम लोग रोजे रखते है। ईद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। इस दिन सारे मुसलमान मस्जिद में जा कर नमाज अदा करते है। एक दूसरे के गले मिलकर ईद की शुभकामनाएं देते है। ईद-उल-फितर का पर्व रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। ईद के दिन लोग एक-दूसरे को अपने घर दावत पर बुलाते है। ईद-उल-फितर की ईद 30 दिन के रोजे खत्म होने के बाद मनाई जाती है इस दिन लोग अपने घरों पर कई तरह के पकवान और मीठी बनाते है जो लोग भी ईद के दिन मेहमान बनकर घर आते है उनको बिना ईदी के घर से नहीं भेजा जाता।

कब है ईद-उल-फितर?

ईद का त्योहार चांद को देखकर ही निश्चित होगा। ऐसी अनुमान लगाया जा रहा है की आज शाम ईद के चांद का दीदार हो सकता है इसके बाद ईद-उल-फितर की ईद 25 मई को मनाई जा सकती है।

इस्लाम में 2 ईद होती है

इस्लाम में 2 ईद मनाई जाती है, पहली मीठी ईद, जिसे रमजान महीने की आखिरी रात के बाद चांद का दीदार करने के बाद मनाया जाता है। मीठी ईद को ईद उल-फितर कहते है। तो दूसरी ईद रमजान महीने के 70 दिनों के बाद मनाई जाती है, जिसे बकरी ईद कहते है। बकरा ईद को कुर्बानी की ईद भी कहते है।

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ईद-उल-फितर का इतिहास

इस्लाम की तारीख के मुताबिक ईद उल फितर की शुरुआत जंग-ए-बद्र के बाद शुरू हुई थी। दरअसल इस जंग में मुसलमानों की जीत हुई थी जिसका नेतृत्व स्वयं पैगंबर मुहम्मद साहब ने किया था। युद्ध जीत हाजिर करने के बाद लोगों ने ईद मनाकर अपनी खुशी जाहिर की थी।

ईद के दिन मुसलमान क्यों करते है अल्लाह का शुक्रिया

ईद उल फितर के मौके पर लोग अल्लाह का शुक्रिया करते है, क्योंकि अल्लाह उन्हें महीने भर उपवास रखने की ताकत देते है। कुछ लोगों का मानना है कि रमज़ान के पाक़ महीने में दान करने से उसका फल दोगुना मिलता है। इसलिए लोग ग़रीब और ज़रूरतमंदों के लिए अपनी आमदनी से कुछ रक़म दान कर देते है।
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