धार्मिक

Dussehra 2019 : शारदीय नवरात्रि के समय क्यों मनाते है दशहरा?

Dussehra  2019 : जाने क्या है विजयदशमी की पूरी कथा?


हमारे देश में दशहरा का त्योहार बड़ी ही  धूम- धाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन  बुराई  पर अच्छाई को जीत मिली थी। शारदीय नवरात्रि के समय नौ दिन माँ दुर्गा की उपासना करने के बाद दसवें दिन रावण का पुतला बना कर उसे दहन किया जाता है। इसका कारण त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है। त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु  ने श्री राम के रूप में धरती पर अवतार लिया था। भगवान श्री राम के पिता दशरथ को दिए गए वचन के अनुसार भगवान श्री राम 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे। वन जाते वक़्त उनके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता भी उनके साथ गई थी। वन में श्री राम को देख कर लंका नरेश रावण की बहन सूर्पनखा मोहित हो गई थी  और श्री राम को शादी का प्रस्ताव दे दिया था।

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विजयदशमी की कथा:

श्री राम ने सूर्पनखा को आदरपूर्वक बताया की वो शादी नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी सीता को वचन दिया है की वो उनके अलावा किसी से भी शादी नहीं करेंगे। ये कह कर श्री राम ने सूर्पनखा को लक्ष्मण के पास भेज दिया। लक्ष्मण के पास जाकर सूर्पनखा हट करने लगी, मगर लक्ष्मण ने मना कर दिया। उसके बाद भी जब सूर्पनखा नहीं मानी तो लक्ष्मण ने गुस्से में आकर उनकी नाक काट दी।

रोती हुई सूर्पनखा ने राम और लक्ष्मण  के बारे में अपने भाई रावण को बताया। तब रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया था। फिर राम भक्त हनुमान ने माँ सीता की खोज की। लाख बार समझाने के बाद भी जब रावण नहीं माने तब भगवान श्री राम ने रावण का वध कर  माँ सीता को लंका से वापस ले आये।

श्री राम ने जिस दिन रावण का वध किया था उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी और इसलिए इस त्योहार को विजयदशमी भी कहते है। रावण के बुरे कर्म पर श्रीराम की अच्छाई की जीत हुई थी, इसलिए इस दिन को अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाया जाता है। विजयदशमी पर रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है।रावण के साथ ही उसके बेटे मेघनाथ और भाई कुंभकरण के पुतले का भी दहन होता है।

विजयदशमी के दिन का शुभ महत्व:

इस दिन अगर आप कोई भी काम शुरू करेंगे तो वो फायदा में रहेंगे। इस दिन कोई भी वाहन, आभूषण खरीदना शुभ रहेगा और यहाँ तक की भगवान शिव की पूजा का कई गुना फल मिलता है।

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