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फिल्म रिव्यू- समाज की कुरीतियों का आइना है ‘अलीगढ़’!

लम्बे समय से अपने पोस्टर और ट्रेलर से लोकप्रियता हासिल करने के बाद आखिरकार आज हंसल मेहता की फिल्म ‘अलीगढ़’ रिलीज हो गई है। यह फिल्म डॉ श्रीनिवास रामचंद्र सिरास की जीवन पर आधारित है, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मराठी के प्रोफेसर थे, जिन्हें होमोसेक्शुअल होने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया था। जिसके बाद उनकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी।

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कहानी- प्रोफेसर सिरास (मनोज वाजपेयी) की जिदंगी में तूफान तब आता है, जब उसके कॉलेज के स्टाफ के कुछ लोग और दो रिपोर्टर छुपके से उसके फ्लेट में आ जाते हैं, और उनकी वीडियो बना लेते हैं, जिसमें वह एक ऑटो वाले के साथ शारीरिक संबंध बना रहे होते हैं। इस घटना के बाद सिरास को नौकरी से निकाल दिया जाता है, हर जगह उनको बुरी नजर से देखा जाता है लोग उनका मजाक बनाते हैं। इस मुश्किल घड़ी में उनका सहारा बनता है जर्नलिस्ट दीपू, जोकि इस मामले की तहकीकात करता है और इस मामले को कोर्ट तक ले जाता है… आगे क्या होता है इसको जानने के लिए आपको फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

मनोज वाजपेयी ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से इंसाफ किया है…एक होमोसेक्सुअल व्यक्ति को समाज में किस नजरों से देख जाता है… उसकी क्या स्थति होती है.. उसके हाव-भाव… हर चीज को मनोज वाजपेयी ने बखुबी पर्दे पर पेश किया है।

जर्नलिस्ट दीपू के किरदार में राजकुमार ने भी काफी अच्छा काम किया है।

कुल मिला कर यदि आप कुछ हटकर देखना चाहते हैं, तो ‘नीरजा’ बायोपिक के बाद आपको ‘अलीगढ़’ जरूर देखनी चाहिए!

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