Active Vs Passive Investment: जानिए क्या है एक्टिव फंड्स और पैसिव फंड्स में अंतर, आज ही समझ लें ये दोनों टर्म
निवेश करते समय दो ऑप्शन सामने आता है एक एक्टिव इंवेस्टमेंट और दूसरा पैसिव इंवेस्टमेंट। यह दोनों इंवेस्टमेंट अलग है। अगर आप भी इन्वेस्टमेंट का सोच रहे हैं तो आपको पहले जान लेना चाहिए कि एक्टिव और पैसिव इंवेस्टमेंट क्या होती है।
Active Vs Passive Investment: एक्टिव के मुकाबले पैसिव फंड्स का बेहतर प्रदर्शन, जानें कहां पैसे लगाना होगा फायदेमंद
Active Vs Passive Investment:अगर आप निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको एक्टिव और पैसिव इंवेस्टमेंट के बारे में जानना जरूरी है। इसके क्या फायदे और नुकसान है इसके बारे में बताता है। अगर आप सही रिसर्च के साथ निवेश नहीं करते हैं तो भविष्य में आपको जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। चलिए, आज हम आपको बताएंगे कि एक्टिव और पैसिव इंवेस्टमेंट क्या होता है। इसमें क्या अंतर है।
एक्टिस फंड्स
एक्टिव फंड मैनेजर का काम यह देखना होता है कि वे किस तरह से निवेश पर मुनाफा कमाएं। इसके लिए वे स्टॉक्स, बेंचमार्क और इंडेक्स की पूरी स्टडी करते हैं। आमतौर पर एक्टिव रूप से मैनेज किए जाने वाले फंड्स पर अधिक चार्ज लगता है। इसके लिए एनलिस्ट्स और रिसर्चर्स बेहद तत्परता से किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने का फैसला लेते हैं। जिस फंड को किसी भी फंड मैनेजर द्वारा एक्टिवली मैनेज किया जाता है, उसे ही एक्टिव फंड कहते हैं।
पैसिव फंड्स
इस तरह के फंड में मार्केट इंडेक्स ट्रैक करने के बाद ही निवेश से जुड़े फैसले लिए जाते हैं। इसमें फंड मैनेजर किसी भी स्टॉक का फैसला असली एक्टिवली नहीं लिया जाता है। आमतौर पर, इसमें निवेश करना आसान होता है। इंडेक्स फंड उन लोगों के लिए बेहतर माना जाता है, जिनके पास मार्केट को अच्छे से ट्रैक करने का समय नहीं होता है। इसके लिए ज्यादा रिसर्च की भी जरूरत नहीं होती है।
एक्टिव और पैसिव म्यूचुअल फंड क्या हैं?
पैसिव म्यूचुअल फंड बाजार को ट्रैक करता है। इसी के चलते एक्टिव फंड के मुकाबले इसमें उतार-चढ़ाव कम होता है। यह नए निवेशकों या फिर उन निवेशकों के लिए अच्छा है जो रिटर्न के बजाये सेफ्टी को तवज्जो देते हैं। इंडेक्स फंड और ETF आदि पैसिव फंड हैं, जो अपने अंडरलाइंग बेंचमार्क को ट्रैक करते हैं। ये दोनों फंड उन्हीं कंपनियों में निवेश करते हैं, जो बेंचमार्क इंडेक्स में शामिल होती हैं।
एक्टिव और पेसिव इन्वेस्टमेंट में क्या है अंतर
1. एक्टिव इन्वेस्टमेंट में आपको मार्केट इंडेक्स को पछाड़ना होता है। वहीं पेसिव इन्वेस्टमेंट में बाजार में आई तेजी से निवेशकों को मुनाफा होता है।
2. एक्टिव इन्वेस्टमेंट में आपको शेयर की खरीद और बिक्री के फैसले जल्दी लेने होते हैं जबकि पेसिव में निवेश के फैसले लेने के लिए काफी समय होता है।
3. एक्टिव इन्वेस्टमेंट में ट्रांजेक्शन की संख्या पेसिव के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। एक्टिव में रिसर्च रिलेटिड कॉस्ट भी ज्यादा होती है।
4. एक्टिव इन्वेस्टमेंट में कैपिटल गेंस टैक्स भी शामिल होता है। इसकी वजह है ज्यादा ट्रांजेक्शन की संख्या। पेसिव इन्वेस्टमेंट में कैपिटल गेंस टैक्स कम होता है।
5. एक्टिव इन्वेस्टमेंट में काफी रिस्क होता। इसमें रिटर्न की गुंजाइस भी ज्यादा नहीं होती है। वहीं, पेसिव इन्वेस्टमेंट में आपको बेंचमार्क जितनी ही रिटर्न मिलता है।
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एक्टिव के मुकाबले पैसिव फंड्स का प्रदर्शन बेहतर
जानकारों की मानें तो रिटर्न में एक्टिव फंड्स के मुकाबले पैसिव फंड्स का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पिछले साल में लॉर्ज कैप फंड्स ELSS फंड्स और मिड या स्मॉल कैप फंड्स का प्रदर्शन इनके बेंचमार्क की तुलना में क्रमश 100%, 80% और 53% कमजोर रहा था। पैसिव फंड्स का खर्च भी कम रहता है. यही कारण है कि निवेशकों को पैसिव फंड् में निवेश करना बेहतर विकल्प लगता है।
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