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30 साल के बाद क्या इस बार बदलेगा का सुपौल का राज

बाढ़ सूखा हर तरफ से त्रस्त है सुपौल की जनता


बिहार में तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होने वाला है. जिसमें 78 सीटों पर मतदान किया जाना है. इसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि बिहार की राजगद्दी पर कौन विराजमान होगा. तीसरे चरण के चुनाव में सुपौल विधानसभा हॉट सीट है. आइये जानते है इसके हॉट सीट होने के पीछे के कारण को…

क्या 30 साल की राजनीति को कांग्रेस चुनौती दी  पाएगी

इस बार सुपौल में जेडीयू और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. एनडीए की तरफ से प्रत्याशी बिजेंद्र प्रसाद यादव और कांग्रेस के  प्रत्याशी मिन्नत रहमानी आमने- सामने है. देखने वाली बात यह है कि 80 के दौर में कांग्रेस की गढ़ रही सुपौल की सीट इस बार दोबारा यहां अपनी वापसी कर पाती है. आपको बता दें बिजेंद्र प्रसाद यादव पिछले 30 साल से सुपौल के विधायक हैं. साल 1990 के बाद से  दस साल तक जनता दल से और फिर 2000 से 2020 तक जेडीयू से विधायक और मंत्री  रहे हैं. इतने सालों तक विधायक रहने के बाद भी सुपौल का हाल आज भी बद से बदतर हैं. 

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सुपौल की सीट:  30 साल बनाम सूखा बाढ़ बेरोजगार

सुपौल की सीट पर पिछले 30 सालों से एक व्यक्ति ही काबिज है. लेकिन इसके बाद भी सुपौल का हाल एकदम बुरा है. यहां से विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव 15 साल से बिहार सरकार में उर्जा मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री है. इन सबके बावजूद भी सुपौल किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाया. यहां में शिक्षा स्तर मात्र 57 प्रतिशत है. खबरों की मानें तो हर साल कोसी के प्रकोप और बाढ़ के कारण बड़ी संख्या में लोगों को घरों से बेघर होना पड़ता है.  इन सबके बाद सूखे की मार झेलनी पड़ती है. जिसके कारण यहां खेती भी नहीं पाती है.  स्वास्थ के मामले में भी प्राथमिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ता है. दैनिक जागरण की एक खबर के अनुसार अस्पतालों में नर्स और डॉक्टरों की कमी है. इतनी कमियों बाद अब देखना है सुपौल की जनता किसको अपना विधायक चुनती है.

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