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Ramayana : 31 साल बाद सिनेमाघरों में लौट रही है ‘रामायण’, जानिए क्यों हुई थी भारत में बैन?

Ramayana द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम एक जापानी-भारतीय एनिमेटेड फिल्म है, जिसे वर्ष 1992 में पहली बार रिलीज़ किया गया था। यह फिल्म हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित है और इसके जरिए भगवान राम की कहानी को बताया गया है।

Ramayana : बैन के बाद 31 साल में पहली बार रिलीज हो रही ‘रामायण’, जानिए विवाद की पूरी कहानी

Ramayana द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम एक जापानी-भारतीय एनिमेटेड फिल्म है, जिसे वर्ष 1992 में पहली बार रिलीज़ किया गया था। यह फिल्म हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित है और इसके जरिए भगवान राम की कहानी को बताया गया है। यह एनिमेशन फिल्म अपने समय से काफी आगे थी, और इसकी कला, संगीत और कथा ने दुनिया भर में लोगों का ध्यान आकर्षित किया था। हालांकि, यह फिल्म उस समय भारत में पूरी तरह से रिलीज़ नहीं हो पाई, और इसके पीछे कई विवाद और कारण थे।

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फिल्म की पृष्ठभूमि और निर्माण

रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम का निर्माण जापानी और भारतीय एनिमेशन टीम के सहयोग से किया गया था। इस प्रोजेक्ट को निर्देशित किया था युगो साको ने, जो एक जापानी एनिमेटर थे और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। युगो साको ने रामायण पर रिसर्च किया और इस अद्भुत महाकाव्य को एक एनिमेशन फिल्म के रूप में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। उनके साथ राम मोहन जैसे भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री के दिग्गज भी जुड़े।

इस फिल्म को बनाने में लगभग 7 साल का समय लगा, और इसका निर्माण काफी बड़े पैमाने पर हुआ। फिल्म में जापानी और भारतीय कला शैलियों का मिश्रण है, और इसका संगीत भी बहुत प्रभावी और भावनात्मक था, जिसे रवि शंकर ने तैयार किया। फिल्म को अंग्रेजी, हिंदी और जापानी भाषा में डब किया गया, ताकि इसे दुनियाभर में दर्शक देख सकें।

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फिल्म पर विवाद और भारत में प्रतिबंध

रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम एक बेहतरीन एनिमेशन फिल्म थी, लेकिन इसके रिलीज के समय इसके खिलाफ कई विवाद उठे। यह फिल्म अपने यथार्थपूर्ण चित्रण और धार्मिक संवेदनाओं के कारण विवाद का केंद्र बनी। कई लोगों का मानना था कि एनिमेशन जैसे माध्यम में हिंदू महाकाव्य को चित्रित करना गलत था, क्योंकि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। हालांकि, बुरे राजनीतिक माहौल के बीच इसके जापानी क्रिएशन में हिंदू देवताओं के एनिमेटेड वर्जन को लेकर इसे बैन किया गया था।

इसके अतिरिक्त, फिल्म के कुछ हिस्सों को भी गलत समझा गया। उदाहरण के लिए, रावण के चरित्र को फिल्म में जिस तरह से चित्रित किया गया था, उस पर काफी विवाद हुआ। कई लोगों का मानना था कि फिल्म में रावण के व्यक्तित्व और उसके कारनामों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जो कि रामायण के मूल कथा से मेल नहीं खाता।

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31 साल बाद फिर से रिलीज

31 साल के लंबे अंतराल के बाद, रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। अब इसे डिजिटल रूप से रीमास्टर किया गया है और 4K में उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि नई पीढ़ी के दर्शक भी इस अद्भुत फिल्म का आनंद ले सकें। इस फिल्म की वापसी एक ऐतिहासिक अवसर है, क्योंकि यह सिर्फ एक एनिमेशन फिल्म नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे वैश्विक दर्शकों ने सराहा है।

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