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SC-ST के ‘अमीर’ लोग होंगे आरक्षण से बाहर! क्या है आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एससी/एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू करने की अनुमति दी, जिससे आरक्षण में न्यायसंगत अंतर संभव हो सके। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दी हैं।

SC-ST: आरक्षण को लेकर  सप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर NDA में शुरू हुआ मतभेद, चंद्रबाबु नायडू ने किया समर्थन, चिराग़ ने जताया विरोध

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला?

आरक्षण पर फिर से चर्चा शुरू हो चुकी है, कारण है सुप्रीम कोर्ट का अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) आरक्षण पर आया हुआ एक अहम फ़ैसला ।बीते गुरुवार को सप्रीम कोर्ट ने आरक्षण  पर फ़ैसला सुनते हुए कहा है कि राज्य सरकारें एससी/एसटी आरक्षण के अंदर उप-वर्गीकरण कर सकती हैं और क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी  कहा है  कि कोटा के भीतर कोटा तर्कसंगत अंतर पर आधारित होगा. इसे लेकर राज्य मनमर्जी से काम नहीं कर सकते. इसके साथ ही राज्यों की गतिविधियां न्यायिक समीक्षा के अधीन होगी.

SC-ST के 'अमीर' लोग होंगे आरक्षण से बाहर! क्या है आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला?

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर तीन दिनों तक सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र मिश्रा शामिल थे। इस मामले को 2020 में पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में पांच जजों वाली पीठ ने सात जजों वाली पीठ को सौंप दिया था।

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आरक्षण के मामले पर क्या बोले जज?

आपको बता दे न्यायमूर्ति बीआर गवई ने अलग फैसला देते हुए कहा कि राज्यों को एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए और उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर करना चाहिए। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि ओबीसी पर लागू क्रीमी लेयर का सिद्धांत एससी/एसटी आरक्षण पर भी लागू होना चाहिए। वहीं जस्टिस पंकज मित्तल ने कहा कि आरक्षण एक पीढ़ी तक सीमित होना चाहिए और अगर एक पीढ़ी आरक्षण के जरिये उच्च स्थिति तक पहुंच गई है, तो अगली पीढ़ी इसकी हकदार नहीं होनी चाहिए।आपको बता दे CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा ने इस मुद्दे पर अपनी कोई राय नहीं दी है। पीठ 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से मुख्य याचिका पंजाब सरकार ने दायर की थी। जिसमें पंजाब और हरियाणा highcourt के 2010 के फैसले को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में दिए गए पांच जजों के फैसले को भी  पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि एससी/एसटी में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण को बरकरार रखते हुए कहा कि राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ दिया जा सके।

राजनीतिक दलों ने क्या  कहा?

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अलग-अलग राजनीतिक दलों की टिप्पणियां सामने आ रही हैं। इस फैसले से NDA के सहयोगी दलों में मतभेद नज़र आ रहा है। जहाँ एक तरफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है तो वहीं  दूसरी तरफ खबर है कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी (LJP) इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करेगी।

वही BSP chief  मायावती ने भी इस फैसले का विरोध जताते हुए कहा कि एससी और एसटी समुदायों ने अत्याचारों का सामना एक समूह के रूप में किया है, और इन समूहों के भीतर किसी भी तरह का उपवर्गीकरण करना सही नहीं होगा।

आरक्षण में कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रूख तय करने के लिए मंगलवार (6 अगस्त) की शाम कांग्रेस  ने भी  एक उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी ने पार्टी के दलित नेताओं के साथ बातचीत की। कांग्रेस ने एलान किया है कि इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में वो जल्द ही अपना अपना पक्ष रखेगी।

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Shriya Gupta

Journalist, Talks about Politics, Culture and International Affairs. Love to see things through the lenses. Short Films and Documentries make me More excited.
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