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75th Independence Day: जानें उन महिलाओं के बारे में, जिन्होंने देश की आजादी के खातिर छोड़ा घर का ऐशो आराम

75th Independence Day: देश की स्वतंत्रता दिवस के बेमिसाल 75 साल


75th Independence Day: हमारे देश में हर साल 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश को 200 साल तक अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। आपको बता दें कि इस बार हमारा देश 15 अगस्त को अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर लेगा। भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। लेकिन आज भी देशवासियों के दिल में उन लोगों के लिए प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ हैं जिन्होंने आजादी के खातिर अपनी जान गंवा दी। आपको बता दें कि देश की  आजादी के लिए कुर्बानी देने और देश के लिए लड़ने वाले वीरों में देश की कई महिलाएं भी शामिल थी। तो चलिए आज हम आपको आजादी के 75 साल पूरे होने पर कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए छोड़ा अपने घर का ऐशो आराम और दिए कई योगदान।

सरोजिनी नायडू: क्या आपको पता है सरोजिनी नायडू को भारतीय कोकिला के नाम से भी जाना जाता है। सरोजिनी नायडू सिर्फ स्वएतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं बल्कि एक बहुत अच्छी कवियत्री भी थीं। सरोजिनी नायडू ने खिलाफत आंदोलन की बागडोर संभालते हुए अग्रेजों को भारत से बाहर निकालने में अहम योगदान दिया।

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लक्ष्मी सहगल: आपको बता दें कि लक्ष्मी सहगल पेशे से एक डॉक्टर है लेकिन उसके बाद भी उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर प्रमुख भूमिका निभाई। इतना ही नहीं लक्ष्मी सहगल ने साल 2002 के राष्ट्रपति चुनावों में भी हिस्सेदारी निभाई। वो राष्ट्रपति चुनाव में वाम मोर्चे की उम्मीदवार थी। लेकिन उसके बाद एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें हरा दिया था। इतना ही नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अटूट अनुयायी के तौर पर लक्ष्मी सहगल इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हुईं थीं। उन्हें साल 1998 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था।

अरुणा आसफ: आपको बता दें कि अरूणा आसफ अली को आजादी की लड़ाई में लड़ने वाली एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप जाना जाता है। उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया और लोगों को अपने साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं इसके साथ ही वो ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ की एक सक्रिय सदस्य भी रही थीं।

कमला नेहरू: आपको बता दें कि कमला नेहरू बहुत छोटी उम्र में ही जवाहर लाल नेहरू की पत्नी बन गई थी। पहले कमला नेहरू बहुत ही शांत स्वाभाव की महिला थी लेकिन बाद में वही शांत स्वाभाव की महिला लौह स्त्री साबित हुई। लेकिन इस दौरान उन्होंने धरने, जुलूस, भूख हड़ताल और जेल की पथरीली धरती पर सोती ये सारी चीजे की थी।

रानी लक्ष्मी बाई: हमारे देश में बच्चा बच्चा जनता है रानी लक्ष्मी बाई के बारे में। जब भी हमारे देश में नारी सशक्तिकरण की बात होती है तो रानी लक्ष्मी बाई की बात जरूर होती है। आपको बता दें कि देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी।

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