4TH दिल्ली लिटरेचर फेस्टीवल का समापन, खूब पसंद आया कुमार विश्वास का शायराना अंदाज!
पुस्तक प्रेमियों के लिए आयोजित किया जाने वाला लिटरेचर फेस्टीवल, इस साल दिल्ली के आईएनए स्थित दिल्ली हाट में आयोजित किया गया था। इस इवेंट को नाम दिया गया था, 4th दिल्ली लिटरेचर फेस्टीवल। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का आयोजन 8 जनवरी 2016 से 10 जनवरी 2016 तक किया गया था।
4TH दिल्ली लिटरेचर फेस्टीवल
इस पूरे समारोह में कई बड़े नामी-ग्रामी हस्तियों ने शिरकत की, इन हस्तियों में कई राजनीतिक पार्टी के सदस्य तो कई बड़े लेखक मौजूद थे।
इस तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरूआत जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बैंड “आंच” के लाइव शो से हुई। जिसमें बैंड ने सूफी और इंडियन गानों के मिक्स एंड मैच से दर्शकों का दिल जीता।
लाइव प्रर्फोमेंस के बाद कई साहित्य और भाषा पर आधारित चर्चाएं की गई, जिस पर कई मशहूर हस्तियों की राय सुनने को मिली।
कुमार विश्वास भी 4th दिल्ली लिटरेचर फेस्टीवल का पात्र रहे थे।
गंभीर बातों से हल्का और तरोताजा महसूस कराने के लिए कुमार विश्वास का शायराना अंदाज लोगों को काफी पसंद आया, जिसमें उनकी कविताएं और शायरी लोगों का दिल जीत गई। जैसे कि…
कुमार विश्वास
नहीं हमारे बीच कोई अनबन नहीं है, बस अब वो मन नहीं है
सुलझा रहा हूं मैं खुद को, तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है- कुमार विश्वास
इस कविता को सुनाते हुए कुमार ने कहा कि यंगस्टर अपने आप को इन लाइनों से जरूर जोड़ सकेंगे, क्योंकि कई लड़के-लड़कियां यह एक-दूसरे से कहना चाहते हैं, लेकिन कह नहीं पाते।
इसके अलावा जब विश्वास से यह पुछा गया कि, क्या कविता लिखने का हुनर सिखाया जा सकता है? इसपर उनका जवाब था… नहीं, अगर यह हुनर है किसी के पास तो उसपर धार लगाई जा सकती है, लेकिन सिखाई नहीं जा सकती। ठीक उस तरह जिस तरह मार्बल पर धार नहीं लग सकती वो सिर्फ लोहे पर ही लग सकती है।
Picture Credits : Kuldeep Pundhir